हेमंत शर्मा/सत्यपाल सिंह, रायपुर। राजधानी में स्थित एम्स अस्पताल में स्थित अमृत फार्मेसी में मरीजों को दवाई के रुप में अमृत देने की बजाय जहर दिया जा रहा है. जिसकी वजह से एक मरीज की जान आफत में पड़ गई है औऱ उसे गंभीर हालत में आईसीयू में अब भर्ती किया गया है. जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है.
दरअसल 24 अप्रैल को दुर्ग जिले के पाटन स्थित ओदरागहन से एक मरीज प्रकाश चंद जैन को लंग्स में प्राब्लम की वजह से एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जिनका अस्पताल में इलाज जारी है. अस्पताल में भर्ती मरीजों को कम दर पर जेनरिक दवाई उपलब्ध कराने के लिए खोले गए अमृत फार्मेसी से दवा खरीद कर मरीज को दी जाती थी. इसी अमृत फार्मेसी में मौजूद स्टाफ द्वारा एक्सपायरी हो चुकी दवाओं को बेचा जा रहा है.
मरीज प्रकाश के परिजन भी इसी अमृत फार्मेसी से उन्हें लगने वाला इंजेक्शन SUPERPENEM 500 Mg का खरीदा जिसका बिल भी उनके पास है. इस इंजेक्शन की एक्सपायरी डेट फरवरी 2019 में ही खत्म हो गई थी लेकिन यहां मौजूद फार्मिसिस्टों द्वारा 3 महीने से ज्यादा एक्सपायरी हो चुके इंजेक्शन उन्हें बेच दिया. जिसे लगाने के बाद मरीज की हालत दिन ब दिन बिगड़ने लगी.
उधर मरीज के पुत्र का आरोप है कि हर रोज इसी तरह एक्सपायरी डेट का इंजेक्शन उन्हें दिया जा रहा था, जिसका पता उन्हें तब चला जब अस्पताल के एक कर्मचारी ने उन्हें इसकी जानकारी दी. उधर एम्स अस्पताल में मौजूद न डाक्टरों ने ही इंजेक्शन को चेक और न ही इंजेक्शन लगाने वाले नर्सिंग स्टाफ ने ही. इस मामले में जब मीडिया की टीम एम्स अस्पताल पहुंची तो जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी कहने से बचते रहे.
फिलहाल इस मामले को लेकर राज्य के औषधि विभाग पर भी सवालिया निशान लगने लगा है, आखिर एक्सपायरी हो चुकी दवाएं कैसे बेचे जा रही थी वह भी सरकारी मेडिकल स्टोर से. वहीं यह भी सवाल उठता है कि राज्य के औषधि विभाग द्वारा क्या एसी केबिन में बैठकर ही सारी खाना पूर्ति की जा रही है.
ऐसे में क्या उन लोगों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई होगी जो इस मामले में साफ तौर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से दोषी नजर आ रहे हैं.