दिल्ली की प्रसिद्ध तिहाड़ जेल (Tihad Jail)में उगाही का एक रैकेट संचालित हो रहा है. इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High-Court) ने CBI को निर्देश दिया है कि वह तिहाड़ जेल के भीतर चल रहे उगाही रैकेट के आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज करे. इस रैकेट में कथित तौर पर जेल के अधिकारी और कैदी शामिल हैं. मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की बेंच ने इन आरोपों को चौंकाने वाला बताया और सरकार से इस पर त्वरित और गंभीर विचार करने की आवश्यकता जताई. इससे पहले, बेंच ने सीबीआई को इन आरोपों की प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया था.
सोमवार को अदालत ने प्रारंभिक जांच के परिणामों पर विचार किया, जिसमें यह सामने आया कि जेल के भीतर विभिन्न प्रकार की अवैध और भ्रष्ट गतिविधियों में कैदी और जेल अधिकारी शामिल थे. अदालत ने कहा कि स्थिति रिपोर्ट और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर, सीबीआई को FIR/RC (नियमित मामला) दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया गया है. अगली सुनवाई तक, सीबीआई को इस आदेश के तहत की गई कार्रवाई की स्थिति रिपोर्ट एक बंद लिफाफे में अदालत में प्रस्तुत करनी होगी. इससे पहले, 2 मई को अदालत ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया था कि वे तथ्यों के साथ जांच करें और यह पता लगाएं कि तिहाड़ जेल में प्रशासनिक और निगरानी की खामियों के लिए कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं.
सोमवार को सरकारी वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि विभाग को जांच पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है. इस पर कोर्ट ने तिहाड़ जेल के संचालन से संबंधित चिंता जताने वाली याचिका की अगली सुनवाई 13 अगस्त को निर्धारित की है. याचिका में जेल अधिकारियों और कैदियों के बीच हो रही अनियमितताओं, अवैध गतिविधियों, गलत व्यवहार और दुर्व्यवहार के मामलों को उजागर किया गया है.
याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि जेल के भीतर कुछ विशेष सुविधाओं के लिए जेल के अंदर और बाहर के कुछ लोग, जेल अधिकारियों के साथ मिलकर अवैध वसूली कर रहे थे. अदालत ने CBI के वकील को निर्देश दिया कि वे अधिकारियों को सूचित करें कि जांच केवल जेल अधिकारियों के खिलाफ नहीं, बल्कि इसमें शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ की जाएगी, जिसमें कुछ कैदियों के रिश्तेदार और याचिकाकर्ता भी शामिल हो सकते हैं.
बेंच ने यह सवाल उठाया कि हमें मिली रिपोर्ट के अनुसार, जेलों के भीतर की स्थिति को समझना बेहद कठिन है. क्या हमारे पास एक प्रभावी जेल प्रणाली नहीं हो सकती? जब बात कैदियों की बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं की आती है, तो आप असफल होते हैं. वहीं, जो लोग इस व्यवस्था का लाभ उठा सकते हैं, वे वहां अपनी जिंदगी का आनंद ले रहे हैं. लेकिन उन कैदियों का क्या, जो ऐसे साधनों को जुटाने में असमर्थ हैं? उनके लिए स्थिति कितनी कठिनाई भरी होगी, इस पर विचार करना आवश्यक है.
अदालत ने सभी कैदियों की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति की जिम्मेदारी सरकार पर डाल दी है. उच्च न्यायालय ने पहले दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को तिहाड़ जेल में प्रशासनिक और निगरानी से संबंधित कमियों की जांच के लिए एक तथ्यान्वेषी जांच करने का निर्देश दिया था, ताकि जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान की जा सके.
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