बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिराए जाने के बाद से ही अल्पसंख्यकों पर हमले लगातार बढ़ गए हैं। ताजा मामला पिरोजपुर जिले के दम्रिताला गांव में देखने को मिला है जहां कट्टरपंथी मुस्लिम भीड़ ने हिंदू परिवारों के कम से कम पांच घरों में आग के हवाले कर दिया। घटना शनिवार, 27 दिसंबर की बताई जा रही है। परिवार के सदस्यों के मुताबिक आग लगने के वक्त वे घर के अंदर फंसे हुए थे क्योंकि दरवाजे बाहर से बंद थे। कुल आठ लोग टिन और बांस की बाड़ काटकर बाहर निकलने में कामयाब रहे। लेकिन उनके घर, सामान और पालतू जानवर पूरी तरह जलकर राख हो गए।
स्थानीय पुलिस ने पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। अधिकारियों के मुताबिक आग लगने की सटीक वजहों का पता नहीं चल पाया। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि हमलावरों ने एक कमरे में कपड़े भरकर आग लगा दी, जिससे आग तेजी से पूरे घर में फैल गई। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें लोग आग को बुझाने की कोशिश करते दिख रहे हैं।
6 महीने में अल्पसंख्यकों पर हमले की 71 घटनाएं
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ ईशनिंदा यानी धर्म का अपमान करने के आरोपों से जुड़े मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। जून से दिसंबर 2025 के बीच ऐसे कम से कम 71 मामले दर्ज किए गए हैं। यह जानकारी बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों पर काम करने वाले संगठन ‘ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज’ (HRCBM) की रिपोर्ट में सामने आई है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि हमले के लिए हर बार एक ही तरह का तरीका अपनाया जा रहा है। पहले सोशल मीडिया पर आरोप, फिर तुरंत गिरफ्तारी, उसके बाद भीड़ का इकट्ठा होना और हिंदू इलाकों पर हमला। अब ईशनिंदा के आरोप डर फैलाने और अल्पसंख्यकों को दबाने का हथियार बनते जा रहे हैं।
देश के 30 से ज्यादा जिलों में हुईं ऐसी घटनाएं
HRCBM का कहना है कि ये घटनाएं देश के 30 से ज्यादा जिलों में फैली हुई हैं। रंगपुर, चांदपुर, चटगांव, दिनाजपुर, खुलना, कुमिल्ला, गाजीपुर, टांगाइल और सिलहट जैसे कई इलाकों में ऐसे मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इतनी बड़ी संख्या में एक जैसे मामले होना यह दिखाता है कि यह सिर्फ इक्का-दुक्का घटनाएं नहीं हैं, बल्कि अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का एक चलन बनता जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे ही किसी पर ईशनिंदा का आरोप लगता है, पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है, लेकिन उसके साथ ही इलाके में भीड़ इकट्ठा हो जाती है और हिंसा शुरू हो जाती है। कई बार आरोप किसी एक व्यक्ति पर होता है, लेकिन गुस्साई भीड़ पूरे हिंदू मोहल्ले को सजा देती है।
हिंदुओं के मोहल्ले में तोड़फोड़ की जाती है
19 जून 2025 को बरिसाल जिले में 22 साल के तमाल बैद्य को पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इसके कुछ ही दिन बाद चांदपुर में 24 साल के शान्तो सूत्रधार पर आरोप लगने के बाद इलाके में तनाव फैल गया और प्रदर्शन हुए। 27 जुलाई को रंगपुर जिले में सबसे गंभीर घटना हुई। यहां 17 साल के रंजन रॉय को गिरफ्तार किए जाने के बाद भीड़ ने हिंदुओं के करीब 22 घरों में तोड़फोड़ कर दी। इस घटना ने साफ कर दिया कि आरोप लगते ही हालात कितनी जल्दी बेकाबू हो जाते हैं और पूरे समुदाय को डराने की कोशिश की जाती है।
18 दिसंबर 2025 को मयमनसिंह जिले के भालुका इलाके में 30 साल के दीपु चंद्र दास को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और फिर उसके शव को जला दिया। इससे पहले सितंबर 2024 में खुलना में 15 साल के उत्सव मंडल पर हमला हुआ था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी। इन घटनाओं ने पूरे देश में चिंता बढ़ा दी है।
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