पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। फर्जी नक्सली बनकर पंचायत प्रतिनिधियों से लाखों की लूट व फिरौती वसूली करने वाले गिरोह को पुलिस ने पकड़ने में सफलता पाई है. गिरोह का सरगना पूर्व नक्सली है, जिसने वसूली के लिए गिरोह बना लिया है. आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया.

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, फर्जी नक्सलियों का यह गिरोह जिले के विभिन्न ग्राम पंचायतों के सरपंच, उप सरपंच सचिव को शिकार बनाता था. पहली दस्तक में टोकन मनी लेते थे, इसके चार-पांच दिन बाद रकम वसूलने के लिए आते थे. गिरोह अपने साथ असली हथियार जैसा दिखने वाला नकली हथियार रखते थे. इसमें भरमार, पिस्टल, बटनदार चाकू, गंडासा दिखाकर दहशत फैलाते थे.
वहीं वाकी-टाकी से कामरेड-कामरेड कहकर असली नक्सली होने का अहसास कराते थे.

गरियाबंद जिले के ग्राम जड़जड़ा के सरपंच शत्रुहन ध्रुव और उप सरपंच हुकुमलाल साहू ने थाना कोतवाली गरियाबंद में लिखित आवेदन  दिया था. इसमें उन्होंने बताया कि आंध्रा के नक्सलियों का हवाला देते हुए एक साल से नक्सली उन्हें धमकी देते हुए पैसा वसूल रहे हैं. नक्सलियों को पैसा देने के फेर में उनके जमीन और गाड़ी तक बिक गई. यहां तक घर का खाने-पीने तक का सामाने ले जाते हैं. घटना की रिपोर्ट पर अज्ञात नक्सलियों के विरुद्ध गरियाबंद कोतवाली में धारा 384, 34 भादवि एवं 25 आर्म्स  एक्ट पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया.

मामले की जांच के दौरान 27 नवम्बर को रात्रि में पुलिस अधीक्षक एमआर आहिरे को ग्राम जड़जड़ा, छिदौला, खट्टी की तरफ अज्ञात नक्सलियों के मूवमेंट की सूचना मिली.इस पर कोतवाली थाना एवं ई-30 टीम को जड़जड़ा की ओर रवाना किया गया. पुलिस दल को नाकाबंदी के दौरान कुछ लोगों की आहट सुनाई पड़ी. पुलिस के चुनौती देने पर फायरिंग हुई, जिसके जवाब में फायर किया गया. सुबह सर्चिंग के दौरान झाड़ियों में 2 वर्दीधारी और 4 व्यक्ति सादे कपड़े में मिले, जिन्हें गिरफ्तार कर थाने में लाया गया.

गरियाबंद कोतवाली में पूछताछ में वर्दीधारी पूर्व नक्सली गौतम चक्रधारी ने बताया कि वे लोग खाने-पीने के शौकिन है, पैसे की कमी होने पर बादल सिंह, रोशन निषाद, मुकेश भोई, संतोष निषाद, लेखराम निषाद के साथ फर्जी नक्सली संगठन बनाकर गांव के सरपंच, सचिव, उप सरपंच को डरा धमका कर पैसा वसूल करते थे. इसमें से एक आरोपी बादल सिंह महिलाओं की तरह लंबे बाल रखा है, जिसे महिला नक्सली बनाकर ग्रामीणों को अपने असली नक्सली होने का अहसास कराते थे.