रायपुर. नई श्रम संहिताएं भारत के श्रमिकों के लिए सम्मान, सुरक्षा और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि ये संहिताएं पुराने और जटिल श्रम कानूनों को सरल और आधुनिक बनाती हैं, जिससे श्रमिकों को अधिकार, सामाजिक सुरक्षा और अवसर मिलते हैं. श्रमिक विरोधी होने के दावों को खारिज करते हुए ये संहिताएं समावेशी नीतियों के साथ नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच संतुलन बनाती हैं.

श्रम संहिताएं न्यूनतम मजदूरी, समय पर वेतन भुगतान, राष्ट्रीय स्तर पर एकसमान वेतन मानक और कार्यस्थल पर लैंगिक समानता सुनिश्चित करती हैं. ये संहिताएं असंगठित क्षेत्र, गिग वर्कर्स और अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती हैं, जिसमें आवास योजनाएं, बाल शिक्षा, रोजगार दुर्घटना कवर, वृद्धाश्रम और अंतिम संस्कार सहायता शामिल हैं.

अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों को अब कानूनी पहचान, राशन, सामाजिक सुरक्षा लाभ और वार्षिक यात्रा भत्ता मिलेगा, जिससे उनकी गतिशीलता और वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी. गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा निधि की स्थापना की गई है, जिसमें एग्रीगेटर कंपनियां 1-2% टर्नओवर का योगदान देंगी. इसके अलावा, ई-श्रम पोर्टल के जरिए असंगठित श्रमिकों को डिजिटल पहचान और कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच मिल रही है.

श्रम संहिताएं महिलाओं को सुरक्षित रात्रि पाली में काम करने की अनुमति देती हैं और समान वेतन सुनिश्चित करती हैं. कार्यस्थल पर शिशुगृह सुविधाएं अब अनिवार्य हैं, जिससे कामकाजी माताओं को अपने करियर और परिवार के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलेगी. निष्पक्षता और पारदर्शिता

नई संहिताएं नियुक्ति पत्र को अनिवार्य बनाती हैं, जिससे श्रमिकों को कानूनी सुरक्षा मिलती है. शिकायत निवारण समितियां और समाधान पोर्टल के जरिए श्रमिकों की समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित किया गया है. श्रम न्यायाधिकरणों के तहत विवादों का निपटारा एक वर्ष के भीतर होगा, जिससे न्याय में देरी की समस्या खत्म होगी.

श्रम संहिता से जुड़े तथ्य:

संहिता के पहले और संहिता के आने के बाद (अब) के प्रावधान, इसके प्रभाव

सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी

  • पहले: न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के तहत केवल कुछ ही क्षेत्रों को संरक्षित किया गया था.
  • अब: वेतन संहिता, 2019 यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक कर्मचारी – चाहे वह क्लीनर हो, ड्राइवर हो या आईटी प्रोफेशनल हो – को न्यूनतम वेतन सुरक्षा मिले.
  • प्रभाव: सभी के लिए न्यूनतम वेतन, समान सम्मान, समान वेतन.

मजदूरी का समय पर भुगतान – श्रमिक सम्मान के लिए जरूरी

  • पहले: वेतन में देरी आम बात थी, जिससे श्रमिकों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ता था
  • अब: वेतन संहिता, 2019 सभी कर्मचारियों को समय पर वेतन भुगतान अनिवार्य करती है.
  • प्रभाव: श्रमिकों को समय पर किराया, स्कूल फीस और बिल का भुगतान करने में मदद करता है.

एक राष्ट्र, एक मानक वेतन – वेतन में एकरूपता

  • पहले:न्यूनतम मज़दूरी के लिए कोई राष्ट्रीय मानक नहीं है. राज्यों में व्यापक असमानताएँ
  • अब: केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वेतन निर्धारित करती है – यह एक न्यूनतम वेतन है जिससे नीचे कोई भी राज्य नहीं जा सकता
  • प्रभाव: सबसे गरीब कर्मचारी को भी उचित आधार रेखा की गारंटी मिलती है

कार्यस्थल पर महिलाओं को सशक्त बनाना – कार्रवाई में समानता

  • पहले: महिलाओं के लिए असमान वेतन, नौकरी पर प्रतिबंध और सीमित घंटे.
  • अब: श्रम संहिता समान वेतन, बोर्डों में प्रतिनिधित्व और सुरक्षित रात्रि पाली सुनिश्चित करती है.
  • प्रभाव: महिला श्रमिकों को हर जगह स्वतंत्रता, सुरक्षा और दृश्यता प्राप्त होती है

शिशुगृह सुविधाएं – कामकाजी माताओं को सहायता प्रदान करना

  • पहले: कार्यस्थल पर बच्चों की देखभाल में सहायता दुर्लभ थी और अनिवार्य भी नहीं थी.
  • अब: कार्यस्थल पर या उसके निकट अनिवार्य शिशुगृह सुविधाएं अब अनिवार्य हैं.
  • प्रभाव: कामकाजी माताएँ सावधानी से अपने करियर को संतुलित कर सकती हैं. भागीदारी बढ़ाएँ, चिंता कम करें.

रोजगार का औपचारिकीकरण – कागज का मतलब शक्ति

  • पहले: कोई नियुक्ति पत्र नहीं = नौकरी का कोई प्रमाण नहीं, कोई अधिकार नहीं.
  • अब: श्रम संहिता में नियम व शर्तों को रेखांकित करने वाले आधिकारिक नौकरी पत्र की आवश्यकता होती है.
  • प्रभाव: श्रमिकों को कानूनी रूप से सुरक्षा प्रदान करता है. लाभ, न्याय और सम्मान तक पहुँच को सक्षम बनाता है.

वार्षिक स्वास्थ्य जांच – अब अधिकार

  • पहले: कोई स्वास्थ्य आवश्यकता नहीं थी. श्रमिकों की भलाई को नजरअंदाज किया जाता था.
  • अब: अधिसूचित क्षेत्रों में श्रमिकों के लिए नि:शुल्क वार्षिक स्वास्थ्य जांच एक कानूनी अधिकार है.
  • प्रभाव: बेहतर स्वास्थ्य, शीघ्र निदान.

प्रवासी श्रमिकों के अब अधिकार

  • पहले: प्रवासी श्रमिकों के पास पहचान, लाभ और पोर्टेबिलिटी का अभाव था.
  • अब: प्रवासियों के पास कानूनी पहचान पत्र, लाभ पोर्टेबिलिटी और यात्रा सहायता है.
  • प्रभाव: नौकरी बदलें – अधिकार नहीं. लाभ कर्मचारी के साथ चलेंगे.

गिग वर्कर्स को भी सुरक्षा

  • पहले: डिलीवरी एजेंट, ड्राइवर और ऐप कर्मचारियों के पास कोई बीमा या पेंशन नहीं थी.
  • अब: गिग और प्लेटफ़ॉर्म कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा कानूनों के अंतर्गत आते हैं.
  • प्रभाव: डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ के लिए स्वास्थ्य, जीवन और पेंशन सुरक्षा.

अब श्रमिकों के पास आवाज़ है – और एक मंच भी

  • पहले: कार्यस्थल पर शिकायतों को हल करने का कोई संरचित तरीका नहीं था.
  • अब: सभी प्रतिष्ठानों में शिकायत निवारण समितियाँ अनिवार्य हैं.
  • प्रभाव: निष्पक्ष सुनवाई, समय पर समाधान, अब कोई चुप्पी नहीं.

ईएसआईसी:अब प्रत्येक बड़े और छोटे श्रमिकों के लिए

  • पहले: केवल बड़े नियोक्ता ही ईएसआईसी स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते थे.
  • अब: छोटी इकाइयों में काम करने वाले (यहां तक कि 10 से कम कर्मचारियों वाली इकाईयों में भी) शामिल.
  • प्रभाव: स्वास्थ्य सुरक्षा अब कंपनी के आकार पर निर्भर नहीं करती.

गिग वर्कर्स + ईएसआईसी = सामाजिक सुरक्षा की जीत

  • पहले: ऐप-आधारित श्रमिकों या उनके परिवारों के लिए कोई ईएसआईसी नहीं.
  • अब: ज़ोमैटो, स्विगी, उबर डिलीवरी कर्मचारी ईएसआईसी-पात्र हैं.
  • प्रभाव: चिकित्सा, मातृत्व और यहां तक कि अंतिम संस्कार कवरेज – बिल्कुल फैक्ट्री श्रमिकों की तरह.

बागान श्रमिकों को स्वास्थ्य कवरेज मिलेगा.

  • पहले: बागान श्रमिकों को अक्सर औपचारिक लाभों से वंचित रखा जाता था.
  • अब: नियोक्ता बागान श्रमिकों को ईएसआईसी के अंतर्गत कवर करने का विकल्प चुन सकते हैं.
  • प्रभाव: स्वास्थ्य एवं विकलांगता सुरक्षा, जहां इसकी लंबे समय से आवश्यकता थी.

ईएसआईसी लाभ सभी के लिए

  • पहले: कुछ क्षेत्रों तक सीमित.
  • अब: ईएसआईसी में अब असंगठित श्रमिकों के लिए भी स्वास्थ्य, मातृत्व, विकलांगता और अंतिम संस्कार सहायता शामिल है.
  • प्रभाव:संपूर्ण रूप से जीवन के हर स्तर पर देखभाल.

हर कर्मचारी के लिए पीएफ और पेंशन

  • पहले: केवल औपचारिक, बड़े नियोक्ताओं तक सीमित.
  • अब: पीएफ, पेंशन और बीमा कवर सभी स्वरोजगार और अनौपचारिक क्षेत्र के लिए.
  • प्रभाव: रोजगार के वर्षों से परे वित्तीय गरिमा.

नौकरी छूट गई है तो इसके लिए एक योजना है.

  • पहले: छंटनी किए गए कर्मचारियों को कोई सहायता नहीं मिलती थी.
  • अब: नियोक्ताओं को री-स्किलिंग फंड (प्रति कर्मचारी 15 दिन की मजदूरी) में योगदान देना होगा.
  • प्रभाव: करियर परिवर्तन के दौरान अपस्किलिंग और वित्तीय सहायता.

ई-श्रम: भारत में श्रमिक पहचान-पत्र क्रांति

  • पहले: अनौपचारिक श्रमिकों के पास कोई पहचान या कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच नहीं थी.
  • अब: ई-श्रम पोर्टल प्रत्येक असंगठित श्रमिक को डिजिटल पहचान-पत्र और योजना तक पहुंच प्रदान करता है.
  • प्रभाव: एक आईडी, अनेक लाभ.

असंगठित श्रमिक – अब आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त

  • पहले: कोई पारदर्शिता नहीं = कोई कल्याण नहीं.
  • अब: श्रम संहिता और ई-श्रम लाखों अनौपचारिक श्रमिकों को मान्यता देते हैं.
  • प्रभाव: समावेशन न्याय की ओर पहला कदम है.

समाधान पोर्टल – न्याय आपकी उंगलियों पर

  • पहले: वेतन या बर्खास्तगी के मुद्दों को उठाने के लिए कोई उचित माध्यम नहीं था.
  • अब: श्रमिक कहीं से भी, कभी भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं.
  • प्रभाव: पारदर्शी, जवाबदेह शिकायत समाधान.

नौकरियां, प्रशिक्षण और बहुत कुछ – सब एक ही स्थान पर

  • पहले: नौकरी चाहने वालों या प्रशिक्षुओं के लिए कोई केंद्रीय केंद्र नहीं था.
  • अब: राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल नौकरियां, मार्गदर्शन और कौशल उन्नयन.
  • प्रभाव: युवाओं और पहली पीढ़ी के श्रमिकों के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली.