दिल्ली. जैन संप्रदाय के सम्मानित संत तरुण सागर ने 51 साल की उम्र में दिल्ली में अंतिम सांस ली. अपनी साफगोई औऱ अंधविश्वासों पर करारे हमलों को लेकर तरुण सागर सभी धर्मों के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय थे. भले ही वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन क्या आपको पता है कि एक साधारण से संत ने देश औऱ दुनिया के सबसे ताकतवर संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपनी ड्रेस बदलने पर मजबूर कर दिया था.
दरअसल, नागपुर में 2009 में आरएसएस के विजयादशमी समारोह में जैन मुनि तरुण सागर को बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया था. उस वक्त आरएसएस का ड्रेस कोड था हाफ पैंट औऱ शर्ट. खास बात ये है कि इस हाफ पैंट को बेल्ट से बांधा जाता था. तरुण सागर जी ने इस दौरान आरएसएस के कर्ताधर्ताओं से कहा कि आप लोग चमड़े की बेल्ट लगाने के बजाय इसका कोई दूसरा विकल्प खोजें क्योंकि चमड़े के बेल्ट को जानवरों की खाल से बनाया जाता है. अगर इसे आरएसएस के कार्यकर्ता नहीं पहनेंगे तो बहुत से जानवरों की हत्या पर रोक लगेगी.
उनकी इस अपील को आरएसएस ने बेहद गंभीरता से लिया औऱ कुछ समय बाद ही आरएसएस ने अपना ड्रेस कोड बदल दिया. आरएसएस ने घोषणा की कि उसके स्वयंसेवक अब फुल पैंट पहनेंगे जिसमें बेल्ट की कोई जरूरत नहीं होगी.
ये तरुण सागर जी की ख्याति और सम्मान ही था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के सभी शीर्ष नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया. खासकर आरएसएस ने उन्हें विशेष श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे युगदृष्टा, क्रांतिकारी और राष्ट्रसंत थे.
तरुण सागर जैसे बेहद साधारण संत ने दुनिया के इतने बड़े संगठन को सिर्फ अपनी एक सलाह से अपना ड्रेस कोड बदलने को मजबूर कर दिया. ये उनके अहिंसा पर चलने वाले सिद्धांतों की ताकत दिखलाता है. आज वही आरएसएस उनके प्रति अपना सम्मान दर्शाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा.