दिल्ली पुलिस ने एक बड़े अपराध का खुलासा करते हुए उस गैंग को पकड़ लिया है, जो खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर करोड़ों की लूट को अंजाम देता था. इस सनसनीखेज वारदात का पर्दाफाश करने के बाद पुलिस ने 1 करोड़ 25 लाख रुपए नकद बरामद किए हैं और गैंग के कई सदस्य पुलिस की गिरफ्त में हैं.

कैसे खुला मामला?

20 अगस्त को गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में रहने वाले मनप्रीत सिंह ने थाना विवेक विहार में शिकायत दर्ज कराई थी. मनप्रीत सिंह फाइनेंस, प्रॉपर्टी डीलिंग और कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं. उन्होंने बिजनेस के लिए विवेक विहार में एक मकान किराए पर ले रखा था.

19 अगस्त की रात उन्होंने अपने दोस्त रवि शंकर को 1.10 करोड़ रुपये घर से लाने को कहा। जैसे ही रवि पैसे लेकर बाइक से निकले, चार लोग (जिनमें एक महिला भी थी) सामने आ गए। वे खुद को CBI ऑफिसर बता रहे थे। उनके पास वॉकी-टॉकी और नकली आईडी कार्ड भी थे। उन्होंने रवि से पैसों से भरा बैग छीन लिया और घर में घुसकर उनके कर्मचारी से मारपीट करके बाकी रकम भी ले गए।

100 से ज्यादा CCTV फुटेज खंगाले गए

इसके बाद आरोपी रवि और कर्मचारी दीपक को अपनी कार में बैठाकर अलग-अलग जगह छोड़कर धमकी देकर भाग गए। शिकायत मिलते ही विवेक विहार थाने की टीम ने जांच शुरू की। 100 से ज्यादा CCTV फुटेज खंगाले गए और कारों की डिटेल निकाली गई। पता चला कि कारें फरीदाबाद से एक NGO के नाम पर बुक की गई थीं।

जब पुलिस NGO क्राइम ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (साकेत के पास) पहुंची तो वहां से दो आरोपी पापोरी बरुआ (30 साल, असम की रहने वाली) और दीपक (32 साल, तुगलकाबाद निवासी) को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से 1.08 करोड़ और 17.5 लाख रुपये कैश मिला। बाद में NGO के डायरेक्टर राम सिंह मीणा (62 साल) को भी पकड़ा गया।

बाकी आरोपियों और पैसे की तलाश जारी

यह NGO क्राइम ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन नाम से काम करता था और खुद को सरकारी एजेंसी जैसा दिखाता था। इसके लोग फर्जी आईडी कार्ड और लोगो का इस्तेमाल करके खुद को CBI अफसर बताते थे। असल में यह लोग वारदात की प्लानिंग करके लूटपाट कर रहे थे। अब तक की जांच में सामने आया है कि इस गैंग में 4 महिलाएं और 4-5 पुरुष शामिल हैं। बाकी आरोपियों और पैसे की तलाश अभी जारी है।

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