दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नकली भारतीय मुद्रा तैयार कर उसे दिल्ली और उत्तर प्रदेश में प्रसारित करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों राकेश अरोड़ा, रवि अरोड़ा और विवेक कुमार मौर्य को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से 3.24 लाख रुपये मूल्य की नकली भारतीय मुद्रा के साथ नोट बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री भी बरामद की गई है।

अपराध शाखा को सूचना मिली थी कि एक संगठित गिरोह दिल्ली और पश्चिमी यूपी में नकली नोटों की सप्लाई कर रहा है। सूचना मिलने पर एक विशेष टीम का गठन किया गया। टीम ने सबसे पहले विजय नगर इलाके में दबिश दी और राकेश अरोड़ा को गिरफ्तार किया। तलाशी के दौरान उसके पास से 500-500 रुपये के जाली नोटों की लगभग एक लाख रुपये मूल्य की नकदी बरामद हुई। आरोपी के मोबाइल की जांच में उसके नेटवर्क और सहयोगियों की जानकारी मिली। पूछताछ में राकेश ने खुलासा किया कि यह नकली नोट शाहजहांपुर निवासी विवेक मौर्य और उसके साथी रवि अरोड़ा से मंगवाए जाते थे।

ऐसे मिला सुराग

टीम ने सुरागों के आधार पर तुरंत शाहजहांपुर में छापेमारी की और वहाँ से रवि अरोड़ा को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। तलाशी के दौरान उसके पास से 17,500 रुपये मूल्य के नकली नोट बरामद हुए। इसके अलावा 500 और 200 रुपये के दो जाली नोट, एक मोबाइल फोन और आरोपी विवेक मौर्य का एक मेडिकल सर्टिफिकेट भी जब्त किया गया। मौके पर एफएसएल टीम को बुलाया गया, जिसने नोटों और जब्त सामग्री की प्रारंभिक जांच की और उन्हें नकली होना प्रमाणित किया।

रवि अरोड़ा से पूछताछ में पुलिस को विवेक मौर्य की भूमिका का पता चला। विवेक इस पूरी नकली नोट सप्लाई चेन का मुख्य संचालक बताया गया है, जो जाली नोटों की छपाई और वितरण दोनों की जिम्मेदारी संभालता था। पुलिस ने जांच के दौरान एसबीआई, शाहजहांपुर शाखा से एक बैंक खाते का विवरण प्राप्त किया, जो गौरव मिश्रा के नाम पर दर्ज था। हालांकि खाते से लिंक्ड मोबाइल नंबर विवेक मौर्य का निकला, जिससे उसकी इस गिरोह में सीधी भूमिका की पुष्टि हुई।

पुलिस अब तीनों आरोपियों से पूछताछ कर पूरे नेटवर्क की कड़ियों का पता लगाने में जुटी है। अधिकारियों के अनुसार, जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि गिरोह ने अब तक कितने नकली नोट बाजार में उतारे और यह नेटवर्क किन-किन शहरों में सक्रिय था। साथ ही सप्लाई चैन, नोटों की छपाई में उपयोग हो रही तकनीक और संभवतः जुड़े अन्य सहयोगियों की भी पहचान की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही इस रैक्ट में शामिल अन्य चेहरों का खुलासा किया जाएगा।

आरोपी डिजिटल माध्यमों से करते थे लेनदेन

क्राइम ब्रांच ने स्थानीय पुलिस की सहायता से विवेक मौर्य के घर पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान टीम ने जाली नोट बनाने में उपयोग होने वाला कंप्यूटर, स्कैनर, प्रिंटर, पैन कार्ड, एसबीआई बैंक पासबुक, और नकली मुद्रा छपाई से संबंधित अन्य सामग्री बरामद की। जांच में यह भी सामने आया है कि गिरोह डिजिटल माध्यमों के जरिए भुगतान लेता था और असली नोटों की नकल के लिए उन्नत प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग कर रहा था।

महात्मा गांधी की तस्वीर और हरी पट्टी भी

जांच में सामने आया कि विवेक मौर्य नकली नोट बनाने के लिए एक हाई-रिज़ॉल्यूशन प्रिंटर का इस्तेमाल करता था। वह विशेष प्रकार की स्टांप पेपर जैसी मोटी शीट का उपयोग करता था, जिस पर एक ही बार में दो नोट बेहद बारीकी से छापे जाते थे। नकली नोटों में सुरक्षा धागे जैसी हरी पट्टी और महात्मा गांधी की तस्वीर भी होती थी, जिससे वे देखने में लगभग असली प्रतीत होते थे। पुलिस के अनुसार, मौर्य रोजाना करीब 40 नोट तैयार कर लिया करता था। जानकारी यह भी मिली है कि मौर्य इस वर्ष अप्रैल में ही जेल से जमानत पर बाहर आया था, जिसकी व्यवस्था रवि अरोड़ा ने की थी। पुलिस ने अब रवि अरोड़ा को भी गिरफ्तार कर लिया है।

जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी रवि अरोड़ा लंबे समय से भारी कर्ज में डूबा हुआ था। पुलिस के अनुसार, करीब दो वर्ष पहले जेल में रहने के दौरान उसकी पहचान विवेक मौर्य से हुई थी। वहीं से दोनों के बीच संपर्क और आपसी समझ बनी और बाद में दोनों ने मिलकर नकली मुद्रा का धंधा शुरू कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि विवेक मौर्य को उत्तर प्रदेश पुलिस पहले भी नकली नोटों की छपाई और आपूर्ति से जुड़े मामलों में कई बार गिरफ्तार कर चुकी है। इस बार गिरोह ने त्योहारों के दौरान नकदी की अधिक मांग और तेज circulation का फायदा उठाने के लिए सितंबर के आसपास नोटों की छपाई बढ़ा दी थी, ताकि बाजार में बिना शक के नकली नोटों की आपूर्ति की जा सके।

7 लाख के नकली नोट छाप डाले

जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी रवि अरोड़ा और राकेश अरोड़ा ने इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच दिल्ली के विजय नगर क्षेत्र में किराए पर लिए गए एक मकान में करीब सात लाख रुपये मूल्य के नकली नोट तैयार किए थे। पुलिस के अनुसार, दोनों वहां कंप्यूटर और प्रिंटिंग उपकरण लगाकर नोटों की छपाई करते थे। हालांकि, कुछ समय बाद मकान मालिक को उनके संदिग्ध गतिविधियों पर शक हो गया, जिसके बाद दोनों ने विजय नगर का मकान छोड़ दिया और शाहजहांपुर स्थित रवि अरोड़ा के घर में ही यह काम शुरू कर दिया। बाद में पुलिस ने वहीं से नकली नोटों की खेप और प्रिंटिंग सामग्री बरामद की।

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