Fake GST Invoice Racket: जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशक ने फर्जी जीएसटी इनवॉइस रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इसमें कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था. इसके लिए 102 फर्जी कंपनियां बनाई गईं. जिसके जरिए हजारों लोगों को फर्जी ई-वे बिल जारी किए गए. इन कंपनियों ने मुफ्त बिल जारी कर 1,481 करोड़ रुपये का कारोबार किया. इतना ही नहीं कंपनियों ने 275 करोड़ रुपये की जीएसटी भी चोरी की.

वित्त मंत्रालय की ओर से इस संबंध में एक बयान जारी किया गया. इस सिंडिकेट का खुलासा मेरठ की डीजीजीआई यूनिट ने किया था. इस सिंडिकेट के मास्टर माइंड को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. यह गिरोह बिजली बिल, आधार कार्ड, जीएसटी रजिस्ट्रेशन और अन्य प्रमाणपत्रों से जुड़े दस्तावेज तैयार करता था. जिसके बाद फर्जी जीएसटी इनवॉइस बनाए जा रहे थे.

ये सिंडिकेट कई काम करता था

ये गिरोह केवाईसी के नाम पर लोगों से दस्तावेज लेकर फर्जी कंपनियां खोलते थे. उनके पास एक कार्यालय भी था जहां वित्तीय लेनदेन, जीएसटी रिटर्न दाखिल करना, धोखाधड़ी वाली फर्मों की बिक्री और खरीद बही-खाते का प्रबंधन करना, ई-वे बिल तैयार करना आदि जैसी गतिविधियां होती थीं.

इन कामों के लिए फर्जी तरीके से कई लोगों की भर्ती भी की गई थी. यह सिंडिकेट 1,000 फर्जी कंपनियों के जरिए पैसा कमाने के लिए फर्जी फॉर्म का सहारा ले रहा था. जिसके बारे में वित्त मंत्रालय ने कहा कि डेटा माइनिंग के जरिए इस सिंडिकेट को खत्म करने का काम किया गया.

बैंक कर्मियों की भी मिलीभगत

जांच में फर्जी कंपनियों के खाते खोलने में बैंकिंग क्षेत्र के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत का भी खुलासा हुआ. डीजीजीआई द्वारा की गई छापेमारी में इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज डिवाइस, डेस्कटॉप, लैपटॉप, आधार कार्ड, पैन कार्ड, सिम कार्ड, 25 से ज्यादा मोबाइल फोन, शेल कंपनियों के रबर स्टांप जैसे कई दस्तावेज मिले, जिसमें इस फर्जीवाड़े के सबूत थे.

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