औरंगाबाद। बिहार में एक बार फिर फर्जी आईपीएस अधिकारी बनने का बड़ा मामला सामने आया है। औरंगाबाद जिले की पुलिस ने उस युवक को गिरफ्तार किया है जो खुद को 2024 बैच का आईपीएस अफसर बताकर पुलिस सुरक्षा में घूम रहा था। आरोपी की पहचान अजय चौधरी (निवासी – करवा गांव, भोजपुर) के रूप में हुई है। उसके पास से फर्जी पहचान पत्र नकली नियुक्ति पत्र और वर्दी में खिंचवाई गई तस्वीरें बरामद की गई हैं।

एसपी से मांगी थी सुरक्षा

जानकारी के अनुसार आरोपी अजय चौधरी रविवार को औरंगाबाद पहुंचा था। अगले दिन उसने जिले के एसपी को कॉल कर खुद को 2024 बैच का प्रोबेशनर आईपीएस बताया और कहा कि वह देव सूर्य मंदिर दर्शन के लिए सुरक्षा चाहता है। बिना शक के एसपी ने नगर थाना से सुरक्षा बल की तैनाती का आदेश दे दिया। सुरक्षा बल मिलने के बाद अजय पूरे आत्मविश्वास के साथ मंदिर पहुंचा और कई स्थानीय अधिकारियों से परिचय भी दिया।

देव सूर्य मंदिर में खुली पोल

जब उसने मंदिर परिसर में अधिकारियों से बातचीत शुरू की, तो उसके बोलचाल और आचरण पर अधिकारियों को संदेह हुआ। जब उससे पहचान पत्र और आधिकारिक दस्तावेज मांगे गए, तो वह बार-बार टालमटोल करने लगा। शक गहराने पर उसे मौके से पकड़कर नगर थाना लाया गया। पूछताछ में अजय चौधरी ने कबूल किया कि वह आईपीएस नहीं है। उसने बताया कि उसने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया है और पहले हैदराबाद के एक होटल में नौकरी करता था।

महिला पुलिस अधिकारी से की 13 लाख की ठगी

जांच में सामने आया कि अजय चौधरी कई बार फर्जी पहचान बदलकर ठगी कर चुका है कभी एयरफोर्स ऑफिसर, कभी आर्मी कैप्टन और अब आईपीएस बनकर। उसने बारुण थाना की एक महिला पुलिस पदाधिकारी सोनी कुमारी से शादी का झांसा देकर करीब 13 लाख रुपये ठग लिए। जब महिला ने शादी का दबाव बनाया, तो उसने दूरी बना ली। संदेह होने पर जांच कराई गई और उसकी असली पहचान का खुलासा हुआ।

बरामद हुआ फर्जी दस्तावेजों का जखीरा

पुलिस को आरोपी के मोबाइल से वर्दी में तस्वीरें फर्जी आईडी कार्ड, नकली नियुक्ति पत्र और कई सरकारी दस्तावेजों की प्रतियां मिलीं। थानाध्यक्ष उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया वह इतनी आत्मविश्वास से बात कर रहा था कि शुरू में किसी को शक नहीं हुआ। लेकिन जब उसके जवाब उलझने लगे तो हमने सख्ती दिखाई और पूरा सच सामने आ गया।

एफआईआर दर्ज

नगर थाना पुलिस ने सब-इंस्पेक्टर प्रशांत कुमार के बयान पर एफआईआर दर्ज कर ली है। आरोपी पर धोखाधड़ी, जालसाजी, सरकारी पद का दुरुपयोग और ठगी के आरोप लगे हैं। फिलहाल अजय चौधरी को न्यायिक हिरासत में भेजने की प्रक्रिया चल रही है। पुलिस उसके नेटवर्क की जांच कर रही है और शक है कि उसके साथ कोई गिरोह भी सक्रिय हो सकता है। यह मामला बिहार पुलिस के लिए बड़ी चेतावनी है कि अपराधी अब प्रशासनिक सिस्टम की विश्वसनीयता का दुरुपयोग करके ठगी के नए तरीके अपनाने लगे हैं।