बालोद। जय प्रकाश सिन्हा, संवाददाता। किसी विभाग के लिए इससे ज्यादा बेशर्मी क्या होगी कि अधिकारी मुस्कुराते हुए फर्जी काम का एवार्ड ले और जिस काम के लिए अवार्ड लिया जा रहा है वो काम हुआ ही न हो, केवल कागजों पर उसे पूरा दिखा गया हो. हम बात कर रहे हैं बालोद जिले के जनपद गुरुर की. जहां कागजों पर ब्लॉक को खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ बता दिया गया है और हकीकत में वहां शौचालय का निर्माण भी पूरा नहीं हुआ.
स्वच्छ भारत अभियान के तहत बालोद जिले के गुरुर ब्लॉक को पूर्णतः खुले शोच से मुक्त ब्लॉक घोषित कर दिया गया है. जनपद सीईओ को रायपुर में मुख्यमंत्री से पुरस्कार भी ले रहे हैं. लेकिन ब्लॉक में जमकर इस काम में धांधली हुई है.

इस बात का खुलासा तब हुआ जब हमारे संवाददाता ने गुरुर विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रो का दौरा करके लौटे. उन्होंने कुछ शौचालयों की फोटो खीचीं है जो अभी तक बनी ही नहीं है. किसी की टंकी नहीं बनी तो किसी का दरवाज़ा नहीं बना. ऐसे में सवाल उठता है कि जब ये शौचालय बने नहीं तो इस घर के लोग कहां शौच के लिए जा रहे हैं और किस आधार पर इसे खुले में शौचमुक्त घोषित किया जा रहा है.

तस्वीर 2- हितग्राही- बीसम ठाकुर, बोहरडीह पंचायत. शीट नहीं लगी है. सीट शौचालय में लाकर रखी है

हमारे संवाददाता के मुताबिक इस जनपद में कई ऐसे शौचालय हैं जिनका निर्माण तक नहीं हुआ. ऐसे में कैसे इस जनपद को शौच मुक्त घोषित किया जा रहा है ये चिंतनीय है. इस बारे में जब गांवों के सरपंचों सेबात की गई तो कई सरपंचो यह तक नहीं मालूम की उनसे किस कागज में दस्तखत करा लिए गए हैं. ग्रामीणों  का ये भी कहना है कि ठेकेदार द्वारा भुगतान न होने से कई जगह का काम अधूरा है.

 इस बारे में जनपद पंचायत सीईओ, जिला पंचायत सीईओ, अपर कलेक्टर और कलेक्टर से हमारे संवाददाता ने बात करने की कोशिश की लेकिन किसी ने इस बात की ओर न ध्यान दिया. सवाल उठता है कि जब फर्जीवाड़े की बात बताई जा रही है तो क्यों उसे संज्ञान में नहीं लिया जा रहा है. दूसरा सवाल है कि इस काम के लिए कागजों पर करोडो रुपये खर्च दिखा दिये गए. जब शौचालयों का निर्माण अधूरा है तो वो पैसे किसकी जेब में गए?
तस्वीर 1- हितग्राही पुराणिक, चिरचारी गांव, छत नहीं लगी है. टंकी नहीं बनी है
तस्वीर3- हितग्राही इंद्रावती बाई,सोरर गांव, निर्माण कार्य चल रहा है
तस्वीर 4- हितग्राही-मिलाप पटेल, सोरर पंचायत, निर्माण अधूरा