रायपुर- परिवार को नियोजित करने में महिलाएं सदा से ही पुरुषों से आगे रहीं हैं ।लॉक डाउन में भी महिलाओं ने नसबंदी को अपनाकर परिवार नियोजन में अपनी भागीदारी निभाई हैं ।लॉकडाउन के दौरान भी ज़िले में नसबंदी को परिवार नियोजन के स्थाई साधन के तौर पर अपनाया ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ज़िला रायपुर डॉ. मीरा बघेल ने बताया लॉकडाउन में परिवार को नियोजित रखने और अनचाहे गर्भ से बचने के लिए के लियें ज़िले मेंअप्रैल में 112 और मई में 142 महिलाओं ने पारंपरिक ट्यूबेक्टॉमी (कॉन्वेंशनल ट्यूबेक्टॉमी यानि सीटीटी) करवाई। वहीं 79 महिलाओं ने अप्रैल में और 54 महिलाओं ने मई में लैप्रोस्कोपिक ट्यूबेक्टॉमी (एलटीटी) साधन द्वारा परिवार को नियोजित रखने का निर्णय लिया ।
नसबंदी गर्भनिरोध का स्थायी तरीका है। यह आसान प्रक्रिया होती है और करने के बाद बच्चा होने की संभावना न के बराबर हो जाती है। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए ही यह प्रभावी गर्भ निरोधक उपाय है। सरकारी अस्पतालों, परिवार कल्याण केन्द्रों पर नसबंदी की सुविधा निशुल्क है ।
डॉ रंजना गायकवाड, जिला सलाहकर, आरएमएनसीएच प्लस एन ने बताया लॉकडाउन में परिवार नियोजन के स्थाई और अस्थाई साधनों के वितरण का कार्य नियमित रूप से जारी है ।कोरोना महामारी की रोकथाम में पूरा महकमा लगा हुआ है लेकिन शासन ने परिवार नियोजन की सेवाओं को कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जारी रखा हैं ।
उन्होंने कहा विभाग द्वारा परिवार सीमित रखने के जो भी स्थाई और अस्थाई साधन है लाभार्थियों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। पुरुष जहॉ गर्भ निरोधक के अस्थायी साधन (कंडोम या निरोध) को अपना रहे है वहीं महिलाऐं नसबंदी ऑपरेशन, कॉपर-टी और आवश्यकतानुसार ईसी पिल्स (इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव) अपना रही है।
डॉ.गायकवाड ने बताया पारंपरिक ट्यूबेक्टॉमी (सीटीटी)पारंपरिक नसबंदी का तरीका प्रसव के 3 दिन बाद ज़्यादा आरामदायक है ।इस समय महिला अस्पताल में ही होती है और प्रसव के बाद उसे आराम करने का समय मिल जाता है। पारंपरिक नसबंदी को कभी भी किया जा सकता है । इसके लिए विशेष रूप से अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है।
लैप्रोस्कोपिक ट्यूबेक्टॉमी (एलटीटी) सबसे कम समय, 10 से 15 मिनट लगते हैं। इसे करवाने के बाद अस्पताल में बहुत ही कम समय रहना होता है , केवल 8 से 10 घण्टे ही जरूरी है। इसमें एक टांका लगाया जाता है और कुछ समय बाद उसका भी निशान नहीं रहता है।