उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 12 साल पहले पुलिस लाइन से अपहरण के बाद की गई कॉन्स्टेबल शाकिर की हत्या के मामले में कोर्ट ने आज सुनवाई पूरी कर ली। फैसले की तारीख 18 मई निर्धारित की थी। हत्याकांड में सिपाही की पत्नी और सास सहित 5 लोगों को आरोपी बनाया गया था। मुकदमे में सिपाही की नाबालिग बेटी की उसकी मां और नानी के खिलाफ दी गई गवाही महत्वपूर्ण माना जा रहा था। लेकिन कोर्ट ने आज, बुधवार को जो फैसला सुनाया उससे सभी हैरान रह गए।

दरअसल, 5 अप्रैल 2011 को सिविल लाइन थाने में तैनात सिपाही शाकिर का अपहरण कर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड के 36 घंटे बाद शाकिर की लाश ट्रांसपोर्ट नगर के समीप से बरामद हुई थी। पुलिस ने सिपाही की हत्या के मामले में उसकी पत्नी रेशमा, सास इशरत जहां, एक वकील भारतवीर, उसका भाई सिपाही रामबीर और भांजे अमित को आरोपी बनाया था। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और विवेचना कर 4 के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।

अभियोजन के अनुसार घटना के मुकदमे की सुनवाई जिला जज चवन प्रकाश की कोर्ट में चल रही है। ज़िला ज़ज़ ने मामले में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसले के लिए 18 मई नियत की है। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से शाकिर के भाई जहांगीर खान, पिता नासिर, नाबालिग बेटी बिनिश सहित लगभग एक दर्जन गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज कराए गए हैं। इनमें शाकिर की नाबालिग बेटी बिनिश की उसकी मां और नानी सहित आरोपियों के विरुद्ध दी गई गवाही महत्वपूर्ण थी।

सरकारी क्वार्टर से किया था अपहरण

अभियोजन के अनुसार मृतक सिपाही शाकिर का पुलिस लाइन स्थित सरकारी क्वार्टर से अपहरण कर वाहन में ही ले जाते समय गोली मारकर हत्या के बाद शव भोपा रोड़ ट्रांसपोर्ट नगर के समीप डाल दिया था। घटना के समय एक आरोपी रामबीर कोतवाली में तैनात था। विवेचना के दौरान पुलिस ने उसका नाम चार्जशीट से निकाल दिया था। लेकिन बाद में कोर्ट ने उसे भी आरोपी बनाकर तलब कर लिया था। इस मामले में जिला जज की अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसले की तारीख 18 मई निर्धारित की थी, लेकिन अभियोजन पक्ष साक्ष्य साबित नहीं कर पाया, जिससे सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया।