Famous Temple in Rajasthan: राजस्थान. राजस्थान एक ऐसा प्रदेश है जो अपनी खूबसूरती, पर्यटन स्थलों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं. राजस्थान में बहुत से ऐसे मंदिर भी है जो प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहते हैं. जिस तरह पूरे भारत में अलग अलग जगह बहुत से शिव मंदिर है, उसी तरह राजस्थान के अलग अलग क्षेत्रों में बहुत से शिव मंदिर हैं जो बहुत प्रसिद्ध हैं. आज हम आपके लिए राजस्थान के उन्हीं प्रसिद्द शिव मंदिरों की जानकारी लेकर आए हैं जो अपनी विशेषता के लिए जाते जाते हैं. तो आइये जानते हैं, राजस्थान के इन शिव मंदिरों के बारे में.
नालदेश्वर मंदिर, अलवर
राजस्थान के अलवर शहर से 24 किमी दूर स्थित है नालदेश्वर महादेव मंदिर. ये गांव अपने प्राचीन महादेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. यह पत्थर की चोटियों और सुंदर हरियाली से चारों ओर से घिरा हुआ है. इस मंदिर में एक प्राकृतिक शिवलिंग है जिसकी बड़ी संख्या में भक्त वर्ष भर पूजा करते हैं. मानसून की पहली बारिश के बाद इस स्थान की सुंदरता कई गुना बढ़ जाती है. यहां हर वर्ष हजारों लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन करने आते है.
घुश्मेश्वर महादेव मंदिर, सवाई माधोपुर
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित है घुश्मेश्वर महादेव मंदिर. ये शिव पुराण के कोटिरूद्र संहिता के 32 वें श्लोक के अंतिम चरण में घुश्मेश्वर का स्थान शिवालय नामक स्थान होना बताया गया है. इसी शिवालय का नाम मध्यकाल में बिगड़कर शिवाल और शिवाल से वर्तमान में शिवाड़ हो गया. यह भारत के द्वादशों ज्योतिर्लिंग में अंतिम ज्योतिर्लिंग है, यह मंदिर शिवाड़ कस्बे में देवगिरी पर्वत पर बना हुआ है. घुश्मेश्वर मंदिर पर महाशिवरात्रि पर पांच दिनों के विशेष मेले का आयोजन होता है. इस मेले में देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है. यह मंदिर नो सौ वर्ष पुराना बताया जाता है. मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयं प्राकट्य बताया जाता है.
सोमनाथ मंदिर, डूंगरपुर
देव सोमनाथ मंदिर, डूंगरपुर से 24 किमी दूर देवगाँव में स्थित है. सोम नदी के किनारे स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. ये मंदिर सफेद पत्थर से बना हुआ है. तीन मंजिला देवालय 150 स्तंभों पर खड़े मंदिर का हर एक स्तंभ कलापूर्ण है. निज मन्दिर में अन्य कलात्मक मूर्तियाँ और कृष्ण पाषाण का एक शिवलिंग है. शिवालय के पीछे विशाल कुंड है जिसे पत्थरों की एक नाली गर्भगृह से जोड़ती है.
परशुराम महादेव मंदिर, पाली
परशुराम महादेव का मंदिर राजस्थान के राजसमन्द और पाली जिले की सीमा पर स्तिथ है. मुख्य गुफा मंदिर राजसमन्द जिले में आता है जबकि कुण्ड धाम पाली जिले में आता है. इस गुफा मंदिर तक जाने के लिए 500 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है. इस गुफा मंदिर के अंदर एक स्वयं भू शिवलिंग है जहां पर विष्णु के छठे अवतार परशुराम ने भगवान शिव की कई वर्षो तक कठोर तपस्या की थी. तपस्या के बल पर उन्होंने भगवान शिव से धनुष, अक्षय तूणीर एवं दिव्य फरसा प्राप्त किया था. मान्यता है कि मुख्य शिवलिंग के नीचे बनी धूणी पर कभी भगवान परशुराम ने शिव की कठोर तपस्या की थी. इसी गुफा में एक शिला पर एक राक्षस की आकृति बनी हुई है. जिसे परशुराम ने अपने फरसे से मारा था.
अचलेश्वर महादेव मंदिर, धौलपुर
राजस्थान के धौलपुर जिले में स्तिथ अचलेश्वर महादेव मन्दिर ये मंदिर राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है. यह स्थान चम्बल के बीहड़ों के लिये प्रसिद्ध है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है की यहाँ स्तिथ शिवलिंग जो कि दिन में तीन बार रंग बदलता है. सुबह के समय शिवलिंग का रंग लाल रहता है, दोपहर को यह केसरिया रंग का हो जाता है, और जैसे-जैसे शाम होती है शिवलिंग का रंग सांवला हो जाता है. हजारों साल पुराने मन्दिर की अपनी एक अलग ही आस्था है.