
अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने अनशन खत्म कर दिया है. यह मामला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच के समक्ष आया. डल्लेवाल के प्रयासों की सराहना करते हुए बेंच ने कहा कि वह बिना किसी राजनीतिक एजेंडे के एक सच्चे किसान नेता हैं.
पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने खनौरी और शंभू सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर कर दिया है और सभी अवरुद्ध सड़कों और राजमार्गों को खोल दिया है.
इस पर बेंच ने कहा कि उसे पता है कि कुछ लोग किसानों की शिकायतों का निपटारा नहीं चाहते हैं. पीठ ने कहा, “हम आइवरी टॉवर में नहीं बैठे हैं… हम सब कुछ जानते हैं.” सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार से जमीनी हालात के बारे में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा. बेंच ने किसानों की शिकायतों पर गौर करने के लिए हाई कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति से एक पूरक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा.
पंजाब की भगवंत मान सरकार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शंभू और खनौरी सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को जबरन हटाने (19 मार्च की रात, 20 मार्च की सुबह) के लिए राज्य सरकार के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर विचार करने से भी इनकार कर दिया. ये किसान फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे.

बेंच ने अवमानना याचिका दायर करने वाले सहजप्रीत सिंह के वकील से कहा कि,, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार से राजमार्ग खोलने के लिए कहा है. अदालत ने कहा कि, एनएच को स्थायी रूप से अवरुद्ध नहीं किया जा सकता. बेंच ने कहा अवमानना याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि, राजमार्गों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए.
बेंच ने कहा कि नाकेबंदी के कारण बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं और माल और अन्य सेवाओं का परिवहन, खासकर पहाड़ी राज्यों में, भी प्रभावित हुआ है. बेंच को बताया गया कि हरियाणा और पंजाब दोनों सरकारों ने किसानों को हटाकर सीमा को खाली करने के लिए कदम उठाए हैं.
पंजाब राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि, उन्होंने पिछले साल के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा की और किसी भी “अप्रिय घटना” को रोकने के लिए शंभू सीमा पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था.
एसकेएम और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर डेरा डाले हुए थे. उस दौरान सुरक्षा बलों ने दिल्ली की ओर उनके मार्च को रोक दिया था.
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