दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन को केंद्र सरकार तमाम कोशिशों के बाद भी खत्म नहीं करा पा रही है. सरकार और किसानों के बीच गतिरोध अभी कायम है. यही वजह है कि आठवें दौर का वार्ता विफल रहा है. बैठक में कोई नतीजा नहीं निलकने पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर तंज कसा है.

राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा है-  नीयत साफ़ नहीं है जिनकी, तारीख़ पे तारीख़ देना स्ट्रैटेजी है उनकी!.

इससे पहले एक अन्य ट्वीट में राहुल गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार ने अपने पूँजीपति मित्रों के फ़ायदे के लिए देश के अन्नदाता के साथ विश्वासघात किया है. आंदोलन के माध्यम से किसान अपनी बात कह चुके हैं. अन्नदाताओं की आवाज़ उठाना और उनकी माँगों का समर्थन करना हम सब का कर्तव्य है.

गौरतलब है कि राहुल गांधी लगातार किसानों के मुद्दे पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. उन्होंने इसे पहले भी मोदी सरकार को लेकर कई ट्वीट किए हैं. जिनमें उन्होंने मोदी सरकार खेती और किसानों को बर्बाद करने की बात कह चुके हैं.

वहीं ध्यान देने वाली बात यह कि दिल्ली में कड़कड़ाती ठंड और सर्दी के बीच किसानों का आंदोलन 44 दिनों से जारी है. किसानों संगठनों से सरकार से साफ कह दिया है कि आंदोलन तभी समाप्त होगा, जब सरकार कृषि कानून को रद्द करेगी.

इस बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान नेताओं के साथ वार्ता में कोई फैसला नहीं हुआ है. किसान संगठनों ने नये कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग का कोई विकल्प नहीं दिया. उन्होंने कहा कि सरकार तब तक कुछ नहीं कर सकती, जबतक कि किसान संगठन नये कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग का विकल्प नहीं देते हैं. तोमर ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि किसान संगठनों के नेता 15 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में चर्चा के लिए विकल्पों के साथ आएंगे, कानूनों को निरस्त करने का सवाल ही नहीं उठता है.

वहीं किसान यूनियन के नेता जोगिन्दर सिंह उग्राहां ने कहा कि बैठक बेनतीजा रही, हम कानूनों को वापस लिए जाने से कम कुछ नहीं चाहते हैं. सरकार हमारी ताकत की परीक्षा ले रही है, हम झुकेंगे नहीं, ऐसा लगता है कि हम लोहड़ी, बैसाखी उत्सव यहीं मानएंगे.