गौरव जैन, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। शासन की ओर समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को आसान बनाने के तमाम दावों के बावजूद किसान आज भी सिस्टम की खामियों से जूझते नजर आ रहे हैं। जीपीएम जिले के मरवाही विकासखंड अंतर्गत ग्राम लिटियासरई से ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां किसान धान की फसल उगाने के बावजूद उसे समर्थन मूल्य पर बेचने में असमर्थ है।

जानकारी के अनुसार, ग्राम लिटियासरई निवासी किसान मोहन सिंह पिता रामदास ने इस साल केसीसी ऋण लेकर अपनी 10 एकड़ भूमि में धान की खेती की। किसान ने खून-पसीना एक कर फसल तैयार की, लेकिन जब धान विक्रय का समय आया तो रिकॉर्ड में भारी गड़बड़ी सामने आई। किसान के कुल 18 रकबे में से 14 रकबों में धान की जगह तरोई फसल दर्ज पाई गई। ऐसे में समिति द्वारा केवल दर्ज रकबे के अनुसार ही टोकन जारी किया गया, जिससे किसान अपनी पूरी उपज बेचने से वंचित रह गया।

पीड़ित किसान मोहन सिंह के पुत्र हरि सिंह का कहना है कि जब वे अपना धान बेचने गए थे, तो समिति के ऑपरेटर ने उन्हें जानकारी दी कि जितने रकबे में धान फसल दर्ज पाई गई है, उतने धान का ही टोकन कटेगा। किसान का कहना है कि गिरदावरी के दौरान या DCS पंजीयन के दौरान हुई गलती का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।

किसान ने अपने पूरे 10 एकड़ में धान की फसल की पैदावार की, पर रकबे में तरोई दर्ज देखकर मैंने अपना माथा पकड़ लिया। अब मैं राजस्व विभाग के चक्कर लगाने को मजबूर हूं। यहां-वहां भटकने के बाद उसने धान विक्रय को लेकर हुई त्रुटियों के संबंध में कलेक्टर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के नाम शिकायत की है।

किसान का कहना है कि उनके गांव में ऐसे और भी किसान हैं, जिनके रकबे में धान की जगह अन्य फसलों के नाम न जाने किसकी गलती से पंजीकृत कर दिए गए हैं। ऐसे किसान भी अपनी पीड़ा को लेकर दर-दर भटक रहे हैं।

इस मामले में जब हमने मरवाही एसडीएम देवेंद्र सिरमौर से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि मामला आपके द्वारा संज्ञान में लाया गया है। किसान के धान रकबे में धान की जगह तरोई प्रविष्ट है, तो किसान की भूमि का फिजिकल वेरिफिकेशन कराया जाएगा। उसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा।