रायपुर- कोंडागाव के एक किसान की आत्महत्या किए जाने के मामले में सियासत गर्मा गई है. पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने आरोप लगाया है कि सरकार के कुशासन और कुनीतियों ने फिर एक किसान की जान ले ली. ट्वीट के जरिए भूपेश सरकार पर किए गए हमले के बाद कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने पलटवार कर कहा है कि किसानों को लेकर एक शब्द बोलने का नैतिक अधिकार रमन सिंह को नहीं है.
कोंडागाव के 40 वर्षीय किसान धनीराम ने शुक्रवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. किसान ने खेती के लिए बैंक से करीब 62 हजार रूपए का कर्ज लिया था. 100 क्विंटल धान बेचने की तैयारी के एवज में उसे 11 क्विंटल धान का ही टोकन मिला था. इसकी वजह बताई गई कि गिरदावली में रकबा घट जाने की वजह से ऐसा हुआ. बताया गया कि किसान ने कर्ज के दबाव की वजह से फांसी लगा ली. हालांकि अनुविभागीय अधिकारी ने जांच में बताया धनीराम अपने बेटे की मौत के बाद से डिप्रेशन में था और अक्सर नशे में रहता था.
इधर किसान की आत्महत्या के मामले में रमन सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा है कि-
सरकार के कुशासन और कुनीतियों ने फिर एक किसान की जान ले ली। संवेदनहीन सरकार अब किसान को नशेड़ी बताने पर तुली है, किसान पुत्र होने का स्वांग रचने वाले मुख्यमंत्री को शर्म भी नहीं आती। @INCChhattisgarh
सरकार के पापों का घड़ा भर गया है, अब किसान करेंगे न्याय!
.@bhupeshbaghel सरकार के कुशासन और कुनीतियों ने फिर एक किसान की जान ले ली।
संवेदनहीन सरकार अब किसान को नशेड़ी बताने पर तुली है, किसान पुत्र होने का स्वांग रचने वाले मुख्यमंत्री को शर्म भी नहीं आती।@INCChhattisgarh सरकार के पापों का घड़ा भर गया है, अब किसान करेंगे न्याय! pic.twitter.com/e7eOc1RvW5
— Dr Raman Singh (@drramansingh) December 5, 2020
इधर सरकार के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह पर पलटवार करते हुए कहा है कि किसान देश की राजधानी को घेरे हुए है. इस पर रमन सिंह क्यों कुछ ट्वीट नहीं करते? किसानों पर लाठियों की बौछार मोदी करा रहे हैं, इस पर रमन सिंह का क्या कहना है? छत्तीसगढ़ के किसानों का 90 लाख मीट्रिक टन धान हम खरीद रहे हैं. इसमें रमन सिंह को इतनी तकलीफ क्यों हो रही है? उन्होंने किसानों को धोखा दिया है. 2100 रूपए प्रति क्विंटल पर खरीदी का वादा किया था, 300 रूपए बोनस देने का वादा किया था, लेकिन क्या हुआ? किसानों के बारे में उन्हें बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है.