कोरबा। जिला प्रशासन द्वारा 25 साल पहले ग्राम रिस्दी में अधिग्रहित जमीन का सीमांकन शुरू होते ही प्रभावित किसान विरोध में उतर आए. लेकिन पुलिस बल की मौजूदगी में की जा रही कार्रवाई में की जा रही प्रशासन की कार्रवाई बदस्तूर जारी रही.
दरअसल, दक्षिण कोरिया की कंपनी देवू ने रिस्दी में एक हजार मेगावाट क्षमता का बिजली संयंत्र लगाने की योजना तैयार की थी. इसके लिए वर्ष 1994-95 में करीब 525 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया. इसमें किसानों की 275 एकड़ निजी भूमि शामिल थी, जिससे 156 किसान प्रभावित हुए थे. विद्युत संयंत्र का कार्य शुरू होता, इससे पहले की कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया और योजना खटाई में चली गई.
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जिस तरह से बस्तर में आदिवासियों को अधिग्रहित जमीन वापस लौटाई थी, उसी तरह रिस्दी के किसानों ने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सामूहिक रूप से ऑनलाइन आवेदन कर जमीन वापसी की मांग रखी है.
इस बीच अचानक शनिवार को कोरबा तहसीलदार सुरेश साहू भारी पुलिस बल के साथ रिस्दी पहुंचे और सीमांकन की कार्रवाई करने लगे. प्रशासनिक अमले ने एक्सिवेटर से देवू की अधिग्रहित जमीन की सीमा पर गड्ढे करने का कार्य भी शुरू करा दिया.
ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर तहसीलदार से जानकारी लेने का प्रयास किया तो उन्होंने केवल इतना कहा कि देवू कंपनी के वकील ने जमीन के सीमांकन का आवेदन किया है, जिसकी वजह से यह कार्रवाई की जा रही है. यह खबर लगते ही रिस्दी बस्ती में हड़कंप मच गया. बड़ी संख्या में बस्ती के लोग व कुछ भाजपा कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए और लॉकडाउन के दौरान नियम विरूद्ध कार्रवाई किए जाने का आरोप लगाते हुए विरोध-प्रदर्शन करने लगे.
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कोरबा तहसीलदार सुरेश साहू ने बताया कि 100 करोड़ की गारंटी राशि का मामला हाई कोर्ट बिलासपुर में विचाराधीन है. कोर्ट ने अधिग्रहित किए गए रिस्दी के जमीन का वर्तमान स्टेटस मांगा है, इसके लिए उन्हें सीमांकन का आवेदन मिला है. उन्होंने स्पष्ट किया फिलहाल किसी को बेदखल करने की कार्रवाई नहीं की जा रही.
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