दुग्ध के कारोबार से किसानों-पशुपालकों के जीवन में समृद्धि की नदी बहने लगी है. सुकमा में 50 से ज्यादा पशुपालकों की को-ऑपरेटिव सोसायटी ने 20 लाख रुपये तक के दूध का कारोबार कर डाला है. जिसका आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. रोजगार उपलब्ध कराने के मकसद से सरकार की ओर से स्थापित किया गया शबरी दुग्ध सागर केंद्र अब नए कीर्तिमान बना रहा है. इसकी शुरुआत 45 पशुपालक और किसानों का समूह बनाकर की गई थी. जो बढ़कर अब 50 से ज्यादा हो गई है. इन्हें प्रत्यक्ष रूप से फायदा हो रहा है. जबकि इस कारोबार से जुड़े अन्य लोगों को रोजगार उपलब्ध होने से उनकी कमाई के रास्ते खुल गए हैं.

सरकार द्वारा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दुध उत्पादन सहकारी समिति का गठन किया गया है. डेयरी का सफल संचालन सामूहिक रूप से किया जा रहा है. जिससे जिले में उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है. साथ ही लोगों को पौष्टिक स्वास्थ्यवर्धक ताजा शुद्ध दूध उपलब्ध हो रहा है. समिति के अध्यक्ष रामाराजू ने बताया कि दुग्ध कारोबार को शुरू करने के कुछ महीने याद ही आय का आंकड़ा 20 लाख रुपये के पार पहुंच चुका है. अब तक 35 हजार लीटर से ज्यादा दूध किसानों से खरीदकर इसके उत्पाद तैयार किए गए हैं. औसतन हर दिन 700 लीटर दूध तक का कारोबार हो रहा है, जिसमें वृद्धि हो रही है.

इसे एक को-ऑपरेटिव मॉडल के तौर पर तैयार किया गया है. पशुपालकों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इसके संचालन की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है. सालभर बाद कमाई को इकट्ठा कर इसका एक हिस्सा संधारण में खर्च किया जाएगा. राज्य शासन की ओर से मशीनें स्थापित की गई है. मशीनों से शुद्धता की परख के बाद गुणवत्ता के साथ निर्धारित दर पर दूध का क्रय किया जाता है. इसके बाद मशीनों के माध्यम से दूध का निर्माण सह पैकेजिंग की जाती है. संचालन समिति के माध्यम से केंद्र में बने शुद्ध पौष्टिक स्वास्थ्यवर्धक दूध के उत्पाद जिलेवासियों के अलावा जिले में स्थित कैंप और शिक्षण संस्थानों में आवश्यकता अनुरूप उपलब्ध कराया जाता है. डेयरी के सुचारू रूप से संचालन के लिए सी-मार्ट के पास शबरी दुग्ध सागर दुकान भी शुरू की जा रही है.

शबरी दुग्ध डेयरी में दूध के साथ दही, खोवा और पनीर का भी विक्रय शुरू किया गया है. घी, खांबा और पनीर को बनाने में इसकी गुणवता पर और डेयरी में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. पैकिंग पहले ही मशीन की अच्छे तरीके से सफाई की जाती है. किसानों द्वारा दूध लाने के बाद उसकी लेक्टरोमशीन से गुणवत्ता की जांच की जाती है फिर दूध फिल्टर कर सीधा बिलर मशीन में जाता है. जहां मशीन द्वारा पैकिंग की जाती है. फिर दूध पैकेट को इकट्ठा कर मार्केट में भेज दिया जाता है.