छत्तीसगढ़ के किसान अब कृषि के क्षेत्र में लगातार नवाचार कर रहे हैं. चाहे वो अन्य फसल लेने की बात हो, या फसलों के उत्पादन की तकनीकों में बदलाव की बात हो. किसान अब नए-नए तरीकों से खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं.

सरकार भी अब किसानों को नए तरीकों से खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. किसान धनीराम अपने खेतों में करेला, लौकी, कद्दू सहित अन्य फसल ले रहे हैं. जिससे उन्हें मल्चिंग खेती, ड्रिप सिंचाई और समुचित देखभाल से नगदी फसलों की अच्छी कीमत मिल रही है. उन्होंने अब तक करेला और लौकी बेचकर करीब 1 लाख 50 हजार रुपये की आमदनी कर ली है.

नई तकनीक नई सोच

दंतेवाड़ा जिले के घोटपाल गांव के रहने वाले धनीराम यादव आधुनिक पद्धति से खेती कर अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. उन्होंने कुछ अलग हटकर करने की कोशिश की. उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर नया तरीका अपनाया और उसमें सफल भी हुए. धनीराम ने मल्चिंग सह ड्रिप तकनीक से सब्जियों की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमाया और प्रगतिशील किसानों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवा लिया. पहले धनीराम रासायनिक खाद का उपयोग कर परंपरागत फसलों की खेती करते थे. लेकिन इसमें उतना फायदा नहीं होता था. फिर धनीराम ने कुछ नया करने की ठानी और इसी के बाद शुरू हुई धनीराम की आधुनिक पद्धति से खेती की कहानी.

किसानों के हौसले को लगे पंख

धनीराम ने खुद की जमीन पर उद्यानिकी विभाग से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण नीति के माध्यम से अनुदान प्राप्त कर मल्चिंग शीट लगाई. मल्चिंग विधि को अपना कर नई तकनीक से खेती शुरू की. करीब 1 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा के अनुरूप ड्रिप स्थापित कर उच्च तकनीक से उद्यानिकी फसल की खेती कर रहें हैं. उनका कहना है कि मल्चिंग और ड्रिप लगने से समय और मेहनत दोनों कम लगती है साथ ही मुनाफा भी अच्छा होता है. इस तकनीक से हो रही पैदावार को देखकर आस पास के किसान भी काफी प्रभावित हुए हैं. मल्चिंग सीट, ड्रिप स्थापना और सब्जी उत्पादन के लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों के हौसले को उड़ान देने में पूरा सहयोग किया जा रहा है. कृषक उद्यानिकी फसल उत्पादन कर काफी खुश हैं और उनकी जीवन शैली में बदलाव भी हुआ है.