जगदलपुर। यह जगदलपुर का जिला सहकारी बैंक का भवन है, और यह लगी भीड़ किसानों की है. बस्तर के ये किसान अपनी जान जोखिम में डालकर शहर पहुंचे हुए हैं, यहां जान जोखिम शब्द का प्रयोग करना इसलिए लाज़िमी है, क्योंकि बस्तर में कोरोना का संक्रमण बढ़ा हुआ है. इस बार तो यह गांव में भी फ़ैल रहा है. ऐसे में यह किसान सुबह सात बजे से इस भवन में जुटने लगते हैं.
दरअसल, ये किसान कांग्रेस सरकार द्वारा उन्हें उनके धान के दिए गए बोनस की रकम लेने पहुंचे हैं. सुबह सात बजे से क़तार में खड़े इन किसानों में केवल पचास लोगों की किस्मत में ही पैसा होता है, और बाकी के हाथ लगती है मायूसी. अपना पैसा लेने आये एक किसान बताते हैं कि मानसून सिर पर है, और वो खेती के लिए खर्च होने वाले पैसों के लिए तीन दिन से इस सहकारी बैंक के चक्कर काट रहे हैं, जहां उनके मेहनत के पैसों को जमा किया गया है. लेकिन अधिकारी संस्थान में कोरोना का हवाला देकर प्रतिदिन पचास लोगों को टोकन देकर बाकी किसानों को चलता कर देते हैं.
किसान बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि जिन्हें टोकन मिल गया है, उन्हें भी पैसा मिल ही जाएगा. कई बार टोकन लेकर भी किसानों को कई दिनों तक भटकना पड़ रहा है. मानसून सिर पर है, और यदि समय पर इन किसानों को पैसा नहीं मिला तो इसका असर इनकी फसलों पर भी देखने को मिलेगा. ऐसे में सहकारी बैंक के अधिकारी कोई सार्थक जवाब देने की बजाय आंख मिलाने से बचते नजर आ रहे हैं.
बैंक के प्रबंधन से इस सम्बन्ध में बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से मना करते हुए जल्द व्यवस्था सुधार लेने का आश्वासन दिया है. अब सोचिए यदि किसान अपने ही पैसों के लिए इस तरह भटकता रहेगा तो सरकार के किसानों के खुशहाल होने के वायदों का क्या होगा.