रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से जुड़े 2 दर्जन किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की शनिवार को राजस्तरीय बैठक के बाद कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे से उनके आवास पर महासंघ के संयोजक मंडल ने मुलाकात की. मंडल ने उन्हें विधानसभा के विशेष सत्र में लाए जाने वाले कृषि विधेयक के साथ 1 नवंबर से धान खरीदी की मांग को लेकर प्रदेश के किसानों की चिंताओं से अवगत कराया.
कृषि मंत्री के साथ बैठक में राज्य के अनेक स्थानों से लगभग दो दर्जन संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे, जिन्होंने केंद्र सरकार के नये कृषि कानून के दुष्प्रभावों, राज्य सरकार के नये विधेयक एवं धान बिक्री में आ रही परेशानियों पर अपने विचार के सामने रखे. प्रगतिशील किसान मंच लोरमी के राकेश तिवारी का कहना था कि नये विधेयक में कृषि उपज मंडी को मजबूत करने का प्रावधान हो क्योंकि प्रदेश की अधिकांश कृषि मंडी बहुत खस्ताहाल में है, लेकिन केंद्र के नए कानून के आ जाने से यह मंडिया अंबानी मंडी, अदानी मंडी आदि पूंजीपतियों के नाम से जानी जाएंगी.
महासमुंद जिला पंचायत सदस्य जागेश्वर जुगनू चंद्राकर का सुझाव था कि प्रदेश सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी के कानून को मजबूत करें और ऐसा न करने वाले व्यापारियों व मंडी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान रखे. साथ ही उनका सुझाव था कि राज्य सरकार को धान खरीदी 1 नवंबर से प्रारंभ कर देना चाहिए. इस सुझाव का नई राजधानी किसान कल्याण संघर्ष समिति के रुपन चंद्राकर ने भी अनुमोदन देते हुए कहा की सरकार हर हाल में प्रदेश के किसानों का धान 1 नवंबर से खरीदी प्रारंभ करें क्योंकि इस वर्ष अनियमित वर्षा से बहुत सारे किसानों को अपनी फसल पहले ही काटने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति के प्रदेश महासचिव सुनील दुबे का कहना था स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश को पूर्ण रूप से लागू करने का प्रावधान राज्य सरकार के नए विधेयक में होना चाहिए. पूर्व जिला पंचायत सदस्य द्वारिका साहू का भी यही मत था कि मंडी कानून पर स्वामीनाथन कमीशन किसी सिफारिशों को लागू किया जाना ही सही मायने में किसानों के हित में होगा. राष्ट्रीय किसान समन्वय संघर्ष समिति के सदस्य पारसनाथ साहू का कहना था की न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी को पंजाब की तर्ज पर कानून बनाया जाए ताकि अधिक धान जो किसानों के पास बच जाता है उस की वाजिब कीमत किसानों को मिल सके.
कारपोरेट परस्त कानून को निरस्त करें
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के प्रदेश सचिव तेजराम विद्रोही का कहना था कि कारपोरेट परस्त कानून को निरस्त करते हुए राज्य सरकार मंडी एक्ट के प्रावधानों को कड़ाई से लागू करें और कांट्रैक्ट फार्मिंग जैसी अलाभकारी लेकिन पूंजीवादियों को बढ़ावा देने वाली खेती को किसी भी तरह से प्रोत्साहित नहीं किया जाए ।
धान खरीदी को प्रतिवर्ष 1 नवंबर से करें नियमित
कृषि वैज्ञानिक डॉ संकेत ठाकुर का कहना था कि नए विधेयक में धान खरीदी को प्रतिवर्ष 1 नवंबर से करना नियमित किया जावे तथा प्रदेश में प्रस्तावित धान आधारित इथेनॉल संयंत्र शुगर मिल की तर्ज पर कोऑपरेटिव सेक्टर में या किसानों की उत्पादक कंपनी के माध्यम से स्थापित किया जाए ताकि किसानों को अधिक से अधिक लाभ हो सके. भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति के प्रदेश अध्यक्ष दौलत सिंह ठाकुर सारागांव का सुझाव था कि राज्य सरकार किसानों की आर्थिक समस्याओं को देखते हुए धान खरीदी पर से 15 क्विंटल के बंधन को हटाते हुए किसानों के एक-एक दाना धान की खरीदी करना सुनिश्चित करें. खासकर जब प्रदेश सरकार को केंद्र द्वारा 60 लाख टन चावल खरीदी का आदेश मिल चुका है.
लिखित में लेंगे किसानों के तमाम सुझाव
किसानों के तमाम सुझावों को ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निर्वाह करने संकल्पित है, इसीलिये तमाम अड़चनों का बावजूद किसानों का धान अपने संकल्प के मुताबिक खरीद रही है. राजीव किसान न्याय योजना से प्रदेश के सभी किसानों को लाभ दिलाने प्रयासरत है. वे किसान संगठनों के तमाम सुझाव को लिखित रूप में चाहेंगे और मुख्यमंत्री के सम्मुख प्रस्तुत करेंगे.
कृषि मंत्री से लगभग 1 घंटे की चर्चा में प्रदेश के अनेक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए जिनमें प्रमुख थे गौतम बंद्योपाध्याय, लक्ष्मीनारायण चंद्राकर, केशव चन्द्र कुर्रे, गोविंद चंद्राकर, जनक राम आवड़ें, श्रवण चंद्राकर, ललित साहू, के अलावा रूपन चंद्राकर, तेजराम विद्रोही, पारस नाथ साहू, डॉ संकेत ठाकुर शामिल थे.