पीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ में मछली पालन को सरकार खेती का दर्जा दे चुकी है. राज्य में मछली पालन की नई नीति भी बन चुकी है. नई नीति से मछली पालन को तेज गति मिली है. किसान आर्थिक उन्नति और प्रगति की ओर अग्रसर हुए हैं. संभावनाओं और सपनों के गढ़ छत्तीसगढ़ में मछली पालन कारोबार का मजबूत केंद्र बन रहा है. इसी कड़ी में महासमुंद के सरायपाली के किसान भी जमकर कमाई कर रहे हैं. मछली पालन और सब्जी की खेती से जिंदगी खुशहाल बना रहे हैं.

महासमुंद के सरायपाली विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम नवापारा कोटद्वारी के कृषक अनंतराम का जीवनोपार्जन का माध्यम कृषि पर आधारित था। अनंतराम पेशे से लघु कृषक है, इनके पास कुल जमीन 4 एकड़ है। वह वर्षा की पानी के भरोसे धान की खेती करता था, लेकिन कुछ वर्षों से बारिश की अनियमितता होने के कारण कृषि कार्य के लिए सिंचाई सुविधा ना होने के कारण दूर से पानी लाना पड़ता था, जिससे उसे अधिक परिश्रम एवं अधिक पैसा खर्च करना पड़ता था और उत्पादन भी अपेक्षाकृत कम होता था एवं वर्ष में केवल एक ही फसल (खरीफ) ले पाता था.

अनंतराम अन्य ग्रामीण कृषकों की तरह खेती के लिए वर्षा के जल पर ही निर्भर था. वर्षा पर्याप्त नहीं होने पर परिवार को गांव के ही अन्य जगह मे मजदूरी करनी पड़ती थी. हमेशा से ही उसके स्वयं के खेत में सिंचाई सुविधा की कमी होती थी. वह हमेशा से चाहते थे की उनके खेत या खेत के आसपास सिचाई सुविधा उपलब्ध हो जाएं, जिससे अल्पवर्षा के समय कृषि हेतु सिचाई सुविधा मिल सके तथा पैदावार अधिक हो सके.

अनंतराम ने इस स्वप्न को पूरा करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अधिनियम के तहत निजी डबरी निर्माण हेतु ग्राम पंचायत में अर्जी दी. इसके लिए ग्राम पंचायत में ग्राम सभा में अनंतराम के निजी भूमि में डबरी निर्माण का प्रस्ताव किया गया. जिला पंचायत महासमुंद द्वारा 15 जनवरी 2022 को 9.99 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई. यह सूचना मिलते ही अनंतराम एवं उसके परिवार में खुशियों ने दस्तक दी.

डबरी निर्माण के बाद इस बरसात में सिंचाई हेतु पानी की उपलब्धता होने से अब अनंतराम खुशहाल किसान कहलाने लगे हैं. अनंतराम बताते है कि खेत में निजी डबरी निर्माण होने के पश्चात खरीफ सीजन में धान फसल की बहुत अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है. साथ ही मछली पालन का उनका सपना भी पूरा होगा. डबरी निर्माण के पश्चात वह फसल उत्पादन के अतिरिक्त मछली एवं साग-सब्जी का उत्पादन करना प्रारम्भ कर दिया है.

वह पास ही के ग्राम पंचायत बलौदा एवं टेमरी में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में बेचता है, जिससे उसके मासिक आय में 12 से 15 हजार रूपये की वृद्धि हुई है. इस प्रकार कृषक अनंतराम के भूमि में डबरी निर्माण के बाद उसके परिवार का आय का स्त्रोत बढ़ गया है, जिससे अनंतराम और उसके परिवार के आर्थिक स्थिति एवं जीवन स्तर में बहुत सुधार आया है एवं अनंतराम का परिवार संपन्नता की ओर अग्रसर है.

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