रायपुर। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति एवं दिल्ली में आंदोलनरत किसानों के राष्ट्रीय आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से सम्बद्ध अनेक किसान एवम सामाजिक संगठनों द्वारा आज रायपुर सहित प्रदेश के अनेक स्थानों नया रायपुर, आरंग, फिंगेश्वर, बिलासपुर, जगदलपुर, रायगढ़ आदि में केंद्र सरकार का पुतला दहन व प्रदर्शन किया गया.
बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उनके कॉरपोरेट मित्र अम्बानी,अडानी का पुतला फूंक कर देशव्यापी किसान आंदोलन के साथ एकजुटता का प्रदर्शन किया गया.
किसान महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य पारसनाथ साहू, पूर्व विधायक विधायक वीरेंद्र पांडे, कृषि वैज्ञानिक डॉ संकेत ठाकुर ने नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन की आंच अब छत्तीसगढ़ के कोने कोने में फैल रही है और आज का पुतला दहन कार्यक्रम आंदोलन की अग्नि को और प्रचंड करेगा. अब छत्तीसगढ़ के किसान भी समझ गए है कि तीनों नये कृषि कानून छत्तीसगढ़ भविष्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी धान खरीदी को रोक देंगे, इसीलिए अब जब तक ये कानून रद्द नहीं होंगे किसान आंदोलन फैलता जाएगा.
किसान नेता ठाकुर रामगुलाम सिंह, ट्रांसपोर्ट यूनियन अध्यक्ष बलविंदर सिंह पन्नू और समाजवादी नेता मनमोहन सिंह सैलानी ने कहा कि कथित कृषि सुधार के नाम पर केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा कॉरपोरेट घरानों के हित मे किसान, कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून को गैर लोकतांत्रिक तरीके से पारित कराया है. इस कानून का अध्यादेश लाये जाने के समय से ही विरोध किया जा रहा है. लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार इसे विपक्षी पार्टियों द्वारा फैलाये जा रहे भ्रम बता कर किसान आंदोलन को हल्के में लिया है जिसके परिणाम स्वरूप दिल्ली में आज दिल्ली में देशव्यापी किसान आंदोलन आगे बढ़ रहा है. यह प्रदर्शन संघर्षरत किसान संगठनों के साथ एकजुटता कायम करता है.
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही, छत्तीसगढ़ी किसान समाज के सुबोध देव, कृषक बिरादरी के पवन सक्सेना, पिछड़ा वर्ग समाज के गिरधर मढ़रिया और छत्तीसगढ़ी समाज के अध्यक्ष मन्नूलाल टिकरिहा ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के साथ बातचीत करने के बहाने तीनों कृषि कानून 2020 को रद्द करने के बजाए संशोधन की दिशा में ले जाकर किसान आंदोलन को शांत करने का कूटनीतिक खेल खेल रही है. जबकि किसानों का एक ही मांग है कि ये कानून कॉरपोरेट परस्त, किसान, कृषि व उपभोक्ता विरोधी है जिसे रदद् किया जाना चाहिए.
पराली जलाने के नाम किसानों को सजा व जुर्माने की प्रावधानों को वापस ले. उन्होंने ने यह भी कहा कि मोदी सरकार का वह झूठ भी बेनकाब हो चुका है जिसमें वे किसान आंदोलन को विपक्षी पार्टियों द्वारा फैलाये भ्रम में फंसना बता रहे थे आज उन्हीं के सहयोगी संगठन के मंत्री, विधायक उनका साथ छोड़कर किसान आंदोलन के समर्थन में शामिल हो रहे हैं. यदि यह कानून रदद् नहीं होता है तो दिल्ली में जारी आंदोलन के अनुरूप और उनके निर्णयों के अनुसार छत्तीसगढ़ में भी किसान आंदोलन को मजबूत किया जाएगा.
इस बीच संघर्षरत किसानों की ओर से आह्वान किये 8 दिसम्बर को होने वाले भारत बंद के समर्थन में सभी किसानों, मजदूरों, आम नागरिकों, व्यापारियों व प्रगतिशील लोगों को पूरे जोर शोर से उतरने का आह्वान किया है.
विरोध प्रदर्शन में रायपुर के नागरिक गण भी शामिल हुए जिनमे प्रमुख थे वरिष्ठ पत्रकार शुभ्रांशु चौधरी, एम एम हैदरी, रायपुर बस्तर परिवहन संघ के सुखदेव सिंह सिद्धू, आदिवासी भारत महासभा के सौरा यादव, चंद्रकांती सागर, आदि उपस्थित रहे.