जुलाई महीना धान की खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, इस महीने मानसून पूरे देश में आ चुका होता है. इसलिए जरुरी है कि किसान सभी कार्यों को समय पर पूरा करें ताकि फसलों की अधिकतम पैदावार प्राप्त की जा सके. वैज्ञानिकों द्वारा अभी तक धान लगाने की कई नई तकनीकें विकसित की गई हैं. जिससे कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.

धान की खेती के लिए पौधे के विकास के लिए अच्छी वर्षा की जरुरत होती है. धान के लिए मृदा की उपयुक्तता उसकी उन्नत प्रजाति के अलावा फसल उगने की परिस्थिति पर भी निर्भर करती है. धान की खेती में जल की उपलब्धता एक प्रमुख कारक है. अच्छी जलधारण क्षमता वाली मटियार या मटियार दोमट व चिकनी मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है. धान की खेती के लिए मृदा का पी–एच मान प्राय: 6.5–8.5 सर्वोत्तम होता है. सिंचाई की समुचित व्यवस्था तथा सही प्रबंधन से अधिकतर मृदाओं में धान की अच्छी पैदावार ली जा सकती है.

प्रमाणित बीज से उत्पादन अधिक मिलाता है. 20 -25 कि.ग्रा. ट्राइकोडर्मा को 60 कि.ग्रा. गोबर की सड़ी खाद या वर्मीकम्पोस्ट में मिलाकर हल्के पानी का छिंटा देकर एक सप्ताह तक छाया में सुखाने के बाद खेत में एक समान छिड़काव कर दें, जिससे मृदाजनित रोगों में कमी आयेगी.

धान की रोपाई के लिए पौधे की तैयारी जब पौधे 20–25 दिनों पुराने हो जाए तथा उसमें 4–5 पत्तियाँ निकल जाए, तो यह रोपाई के लिए उपयुक्त होती है. यदि पोध की उम्र ज्यादा होगी, तो रोपाई के बाद कल्ले कम फुटते हैं और उपज में कमी आती है. मध्यम व देर से पकने वाली प्रजातियों की रोपाई माह के प्रथम पखवाड़े तक पूरी कर लेना चाहिए. धान की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की रोपाई जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक की जा सकती है. सुगन्धित प्रजातियों की रोपाई माह के अंत में प्रारम्भ करें. प्रत्येक वर्ष धान–गेहूं लेने वाले क्षेत्रों में हरी खाद या 10–20 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद का प्रयोग करें. पौध को उखाड़ने के पहले दिन क्यारियों की अच्छी तरह सिंचाई करें.

धान में कितने खाद का छिड़काव करें? धान की बौनी प्रजातियों के लिये 100–120 कि.ग्रा नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस, 60 कि.ग्रा. पोटाश एवं 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट/हैक्टर की दर से प्रयोग करें. बासमती प्रजातियों के लिए 80–100 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 50–60 कि. ग्रा. फास्फोरस, 40 – 50 कि. ग्रा. पोटाश एवं 20 – 25 किग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर देना चाहिए. सिंगल सुपर फास्फेट, म्यूरेट आफ़ पोटाश एवं जिंक की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय देनी चाहिए.

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