नई दिल्ली। कृषि से जुड़ी मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के बीच किसानों द्वारा प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र को लेकर अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. इसे लेकर किसानों ने यह फैसला लिया है कि आज होने वाली बैठक में आंदोलन को तेज करने पर आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी. हाल ही में संयुक्त किसान मोर्चा ने लंबित मुद्दों को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत करने के लिए अशोक धवले, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, शिव कुमार कक्काजी और युद्धवीर सिंह की 5 सदस्यीय समिति का गठन किया था.
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पांच सदस्यीय कमेटी ने सोमवार सिंघु बॉर्डर पर बैठक की, जिसमें यह तय किया गया है कि बैठक में आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए सबकी सहमति से निर्णय लिया जाएगा. इस मसले पर संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि 5 सदस्यीय समिति को अभी तक केंद्र सरकार से 21 नवंबर को प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में उल्लिखित मुद्दों पर चर्चा के लिए कोई संदेश नहीं मिला है. हालांकि उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल की वापसी, वायु प्रदूषण बिल से किसानों के जुर्माने की धारा को हटाना, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी, किसानों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों की वापसी और शहीद परिवारों का पुनर्वास और शहीद स्मारक जैसे मुद्दे अनसुलझे हैं, इसलिए ये मुद्दे मिशन यूपी और उत्तराखंड को प्रभावित करेंगे.
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दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा को इस बात को लेकर जानकारी मिली कि कई भाजपा नेताओं द्वारा बयान दिया जा रहा है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद आगामी विधानसभा चुनावों में किसान आंदोलन प्रभावशाली नहीं होगा, यह पूरी तरह से निराधार है. इसके बाद मोर्चा ने इस पर अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है.
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