कुमार प्रदीप/गोपालगंज: बेरोजगारी और पलायन के नाम से मशहूर बिहार के किसान अपने दुर्दशा पर आज आंसू बहा रहे हैं. सरकार किसानों के आय दुगना करने को लेकर हर बार सांत्वना देती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. हम बात आज बिहार के गोपालगंज जिले के भोरे विधानसभा के उन किसानों की कर रहे हैं. जो प्रकृति और सरकार की दो तरफा मार को झेल रहे हैं.
किसानों का हो रहा है आर्थिक दोहन
बिहार में गेहूं की बुवाई किसानों के द्वारा अक्टूबर माह में किया गया. आज लगभग 3 माह होने को है, लेकिन बारिश की बूंदे किसान के फसलों पर नहीं पड़ी. दूसरी तरफ नहरों के माध्यम से जो किसान फसलों की सिंचाई करते हैं. उनमें भी विभाग के द्वारा पानी नहीं छोड़ा गया. ट्यूबवेल की समस्या इस विधानसभा में पूर्व से ही है. नाम मात्र के ट्यूबवेल है, जो बंद पड़े हैं. किसान अपने फसल को बचाने के लिए लगातार पंप सेट का सहारा ले रहे हैं. जिस कारण उनका आर्थिक दोहन हो रहा है. फसल में लगाए गए पूंजी भी किसानों को वापस नहीं हो पा रहा है.
बजट पर टिकी है किसानों की निगाहें
भोरे विधानसभा में प्रकृति और सरकार के दो तरफा मार झेल रहे किसानों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि हर बार की तरह इस बार भी बरसात नहीं होने के कारण खेतों में नमी नहीं है. अदा कदा जगह पंप सेट के माध्यम से फसलों की सिंचाई की जा रही है. हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि इस बार एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में किसानों पर ध्यान दिया जाए, ताकि हम अन दाता पलायन पर मजबूर ना हो.
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