छत्तीसगढ़ सरकार की कृषि योजनाओं ने कृषकों के जीवन में बदलावा लाया है. लघु और सीमांत किसानों के लिए खेती-किसानी हमेशा से चुनौती पूर्ण रही है. राज्य में कई किसान सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्नत कृषि नहीं कर पाते. इसके अलावा रबी और खरीफ की फसल भी नहीं ले पाते. पूरी तरह मानसून पर आधारित खेती में किसान हमेशा चिंतिंत रहता है. ऐसे में राज्य शासन की कृषि योजनाओं ने किसानों का खेती के प्रति रूझान बढ़ाने का काम किया है.

कृषि विभाग द्वारा प्रदेश के अन्नदाताओं के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है. जिनमें से शैलो ट्यूबवेल योजना महत्वपूर्ण है. इस योजना का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हुए महासमुंद विकासखण्ड के ग्राम चिंगरौद के ऐसे ही लघु सीमांत कृषक तेजकुमार साहू ने खेती को घाटे से उबारते हुए लाभदायक बनाया है.

तेजकुमार बताते हैं कि पहले सिंचाई के साधन नहीं होने से खरीफ फसलों की ही खेती करते थे. सिंचाई पूरी तरह मानसून पर निर्भर होने के कारण उत्पादन कम होता था. जिससे फसल उत्पादन की मात्रा उम्मीद से कम होती थी. लागत की तुलना में आय कम प्राप्त होती थी. इस कारण घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी.

आय में हुई वृद्धि

कृषि विभाग द्वारा संचालित राजिम भक्तिन धारा योजना अंतर्गत तेजकुमार ने शैलो ट्यूबवेल का लाभ उठाकर अपने खेत में ट्यूबवेल खुदवाया. जिससे अब वे रबी और खरीफ दोनों फसल लेते हैं. अब खेती का रकबा सिंचित होने से फसल का नुकसान नहीं होता है. कृषक अब वर्षा के ऊपर निर्भर नहीं है. कृषक के द्वारा खरीफ में धान फसल और रबी में दलहन, तिलहन समेत अन्य फसल का उत्पादन करता है. जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई. इस तरह किसानों ने साल में खरीफ और रबी फसल लेकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार किया. विभाग की राजिम भक्तिन धारा योजना अंतर्गत शैलो ट्यूबवेल खनन से कृषक का जीवन स्तर और आर्थिक स्तर में सुधार हुआ है.