नेहा केशरवानी, रायपुर. एक बार फिर किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नया रायपुर के 27 गांव के किसानों ने प्रदर्शन कर सीएम हाउस घेराव करने की कोशिश की. किसानों का कहना है कि, नया रायपुर के नवनिर्माण में अपने पुरखों की जमीन दी थी, जमीन के बदले मुआवजा देना था, पर नहीं मिला. हालांकि, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रास्ते में ही रोककर बसों में बैठाकर माना तूता भेज दिया.

जानकारी के अनुसार, किसानों की समस्या सुलझाने के लिए 3 कैबिनेट मंत्रियों की कमेटी गठित की गई, लेकिन उसके बाद भी कमेटी में कही बातों का क्रियान्वयन नहीं हुआ. किसानों की सरकार से मांग है कि, बसाहट का पट्टा 11 गांवों में न देकर पूरे 27 गांव में दिया जाए. नया रायपुर के 60% प्रभावित बेरोजगारों को रोजगार दिया जाए. व्यवसाय के लिए 75% लागत मूल्य पर दुकान गुमटी दिया जाए. लेकिन इन सब बातों पर क्रियान्वयन नहीं हो रहा.

वहीं मामले में फुलेश बारले (कोषाध्यक्ष, नई राजधानी प्रभावित किसान कल्याण समिति) ने कहा कि, पूर्व कैबिनेट में मंत्री मंडल का समिति बना है, 67 बिंदु में सहमति बना है, उन्हें धरातल पर लाने की बात कर रहे हैं. मंत्रिमंडल में तीन मंत्री अपने आप को सक्षम नहीं बताए हैं. हम लोग चाहते हैं कि, मुख्यमंत्री के साथ बैठकर इन बिंदुओं पर सहमति बन जाए.

भरत बैस (किसान, ग्राम तूता) ने कहा, आज सरकार पुलिस की ताकत से हमें दबाना चाह रही है. हम जायज मांग के लिए लड़ रहे हैं. हमने अपने पुरखों की जमीन दी है, ताकि नया रायपुर के नवनिर्माण हो. इसमें हमको अपना अधिकार चाहिए. कमल विहार में भी जमीन लिए हैं उसमें हमें अपना अधिकार चाहिए. गांव में नव युवकों को रोजगार की समस्या है, पंचायती राज व्यवस्था गांव में खतरे में है. सरपंच के पास कोई अधिकार नहीं है. सब एनआरडीए के अधिकार में है.