गरियाबंद। जिले के देवभोग तहसील के बाद अब झाखरपारा समिती के 9 गांव के ग्रामीणों ने समर्थन मूल्य में धान नहीं बेचने का निर्णय लिया है. बता दें कि अब तक देवभोग तहसील के 4 सहकारी समिति के अधीन आने वाले 45 गांव के किसानों ने सूखा घोषित कर क्षतिपूर्ति और बीमा की मांग कर चुके हैं. इसे लेकर एसडीएम ने कहा, सर्वे जारी है, रिपोर्ट के आधार पर शासन सुखा तय करता है. Read More- कांग्रेस प्रत्याशी पंकज शर्मा ने दाखिल किया नामांकन, भारी बहुमत से जीतने का किया दावा, कहा- भाजपा के सारे वादे झूठे

दरअसल, झाखरपारा सहकारी समिति के अधीन आने वाले पंचायत झाखरपारा, कोदोभाठा, उसरीपानी, कोडकीपारा समेत 9 गांव के किसान अब समर्थन मूल्य में धान नहीं बेचेंगे. बुधवार को किसान प्रतिनिधि असलम मेमन, श्याम लाल यादव, बीरबाहू चंद्राकर, राजनेद्र ध्रुवा, दुर्जन चंद्राकर, कैलाश यादव, जदू राम यादव, केशबो मांझी और लच्छिन यादव के नेतृत्व में तहसील ऑफिस पहुंच कर 100 से ज्यादा किसानों ने अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा. एसडीएम के नाम वरिष्ट कृषि अधिकारी जेआर नाग को सौंपे ज्ञापन में इस सीजन में धान नहीं बेचने के निर्णय को अवगत कराते हुए कहा कि बारिश के अभाव में उनके फसल नष्ट हो गए है. उन्हें नुकसान की भरपाई के लिए फसल क्षतिपूर्ति, बीमा के अलावा क्षेत्र को सुखा ग्रस्त घोषित करने की मांग की है. किसानों ने ज्ञापन सौंपने से पहले झाखरपारा में एक बैठक किया। फिर तहसील मुख्यालय पहुंच रैली के शक्ल में ज्ञापन देने तहसील दफ्तर पहुंचे.

उल्लेखनीय है कि पिछले 15 दिनों में देवभोग तहसील के निष्टिगुडा, झिरिपानी, दीवानमुड़ा और सिनापाली समिति मिलाकर 45 गांव के किसान सुखा क्षेत्र घोषित करने की मांग कर चुके हैं. मामले में एसडीएम अर्पिता पाठक ने कहा कि अधिकतम 33 प्रतिशत पैदावारी तक क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रावधान है. सरकार की ओर से संभावित सूखा क्षेत्र में पानी की मांगी गई. रिपोर्ट समय-समय पर भेजा गया है, अभी सर्वे जारी है. कृषि और राजस्व विभाग की ओर से संयुक्त रूप से फसल प्रयोग रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है, जिसे ऊपर भेज दिया जाएगा. रिपोर्ट के आधार पर शासन सूखा और बीमा क्लेम तय करेगा.

सूखा ने तोड़ा कमर

पीड़ित किसानों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि समय पर नहीं हुई बारिश ने किसानों का कमर तोड दिया है. बारिश के अभाव में 40 फीसदी रकबे में रोपा बियासी नहीं हो सका, जबकि इतने प्रतिशत रकबे का उत्पादन सूखे की भेंट चढ़ गया. किसानों ने बताया, वर्तमान में उनके फसल की पैदावारी इतना भी नहीं हुआ, जितने का लागत निकल जाए. इसलिए किसानों ने फसल नहीं बेचने का निर्णय लिया है. सूखा और बीमा क्लेम की राशि अगर सरकारी माप दंड में नहीं उतरा तो किसानों को इस चुनावी सीजन में भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.