नितिन नामदेव, रायपुर। राजधानी रायपुर में किसानों ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च निकालकर अपनी कई लंबित मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। भारतीय किसान संघ के आह्वान पर हजारों किसान राजधानी में जमा हुए और उचित मूल्य पर धान खरीद, गन्ने के समर्थन मूल्य और हाफ बिजली बिल जैसी अहम मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए।

किसानों का मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री से सीधे बातचीत करना और उनकी 9 सूत्रीय मांगों को जल्द पूरा कराना था। हालांकि, प्रदर्शन स्थल पर स्प्रे शाला के पास पुलिस ने किसानों को आगे बढ़ने से रोक दिया। इस दौरान प्रदेश के शिक्षा, ग्रामोद्योग एवं विधि विधायी मंत्री गजेन्द्र यादव मौके पर पहुंचे और किसानों को आश्वासन दिया।

मंत्री गजेन्द्र यादव ने अपने संबोधन में कहा कि मुख्यमंत्री ने किसान संगठनों से मिलने का आग्रह किया है और उनकी मांगों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आंदोलन को राजनीतिक रूप देने की बजाय किसानों की वास्तविक समस्याओं को प्राथमिकता दी जा रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सिंचाई के लिए 2800 करोड़ रुपए की राशि सीएम द्वारा जारी की जा रही है, वहीं कवर्धा के गन्ना किसानों की लंबित राशि भी जल्द ही केबिनेट में प्रस्तावित कर भुगतान किया जाएगा।

हालांकि, मंत्री के आश्वासन के बावजूद किसान संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने कहा कि केवल 9 में से 4 मांगों के पूरा होने की बात कही गई है, लेकिन किसानों का कहना है कि सभी मांगें समय पर पूरी की जाएं।

किसानों की 9 सूत्रीय मांगें

  1. बिजली: घरेलू बिजली पर हाफ बिल योजना पुनः लागू की जाए और कृषि पंपों को 24 घंटे बिजली दी जाए।
  2. बकाया भुगतान: पिछले सरकार की बकाया चौथी किस्त की राशि दीपावली से पहले भुगतान की जाए।
  3. धान खरीद और समर्थन मूल्य: एग्रीस्टेक की विसंगतियों को दूर किया जाए; धान की राशि 3100 में बढ़ा हुआ समर्थन मूल्य 186 रुपये जोड़कर दी जाए, धान खरीद 1 नवंबर से 15 फरवरी तक की जाए।
  4. धान खरीद प्रक्रिया: किसानों से 40 किलो 700 ग्राम से अधिक धान न लिया जाए और सभी समितियों में यह नियम बैनर द्वारा प्रदर्शित किया जाए।
  5. खाद की उपलब्धता: खाद की कालाबाजारी बंद हो और सहकारी समितियों में भंडारण सुनिश्चित किया जाए।
  6. सिंचाई: प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ाया जाए और नहरों का पानी अंतिम गांव तक पहुंचे।
  7. दलहन एवं तिलहन: दलहन और तिलहन की खेती पर 20 हजार रुपये अनुदान दिया जाए तथा रबी में दलहन, तिलहन, मक्का और सूरजमुखी की खरीद की जाए।
  8. गन्ना: कृषक उन्नति योजना में गन्ना फसल को जोड़ा जाए और गन्ने का समर्थन मूल्य 500 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए; गन्ना किसानों की लंबित राशि शीघ्र भुगतान की जाए।
  9. जैविक खेती: भारत सरकार द्वारा जैविक खेती पर दिए जाने वाले अनुदान को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भी किसानों को दिया जाए।

किसान संघ का कहना है कि अगर उनकी मांगों को समय पर पूरा नहीं किया गया, तो वह भविष्य में और बड़े आंदोलन का मार्ग अपनाने के लिए बाध्य होंगे।

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