रायपुर।छत्तीसगढ़ में 16 जून को होने वाला किसान आंदोलन क्यों खास है? इसे समझने के लिए आपको इस आंदोलन से जुड़े संगठनों के नेताओं को जानना होगा। आखिर ऐसा कैसे हो गया कि सिर्फ किसानों का एक धरना हुआ और एक के बाद एक कई संगठन साथ होते गए और बड़े आंदोलन की रुपरेख बन गई.

इसकी बड़ी वजह इस आंदोलन से जुड़े लोग हैं. जो इसका नेतृत्व कर रहे हैं. अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय ये तमाम लोग सालों से गरीब और वंचितों की आवाज़ हैं. इनमें वे लोग हैं जिन्होंने सरकार कई आंदोलन से झुकाया है, कुछ मंत्रियों के इस्तीफे करवाए, कुछ कलेक्टरों के तबादले। कोई विदेशों से लाखों की नौकरी छोड़कर आया, किसी ने मालगुजारी छोड़ी है तो कोई छात्र जीवन से ही आंदोलनकारी हो गया।

आंदोलन के प्रमुख नायक

वीरेन्द्र पाण्डेय, पूर्व अध्यक्ष, राज्य वित्त आयोग

ईमानदार छवि वाले वीरेंद्र पांडेय संघ से जुड़े रहे। जगदलपुर से विधायक रह चुके हैं। आपातकाल में जेल जा चुके हैं. राज्य वित्त आयोग की कमान संभाल चुके हैं। जोगी शासनकाल में विधायक-खरीदफरोख्त कांड का खुलासा करने वाले यही हैं। ये मानते हैं कि बीजेपी अपने मूल सिद्धांत से भटक गई है और इसीलिए इन्होंने पार्टी छोड़ दी थी. पार्टी छोड़ने के बाद फिर किसान आंदोलन में सक्रिय। राज्य में किसानों के तमाम आंदोलनों में शिरकत करने वाले। आरटीआई के जरिए भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए. वर्तमान में गोविंदाचार्य के साथ जुड़े हुए हैं.

गौतम बंधोपाध्याय- संयोजक, नदी घाटी मोर्चा, रायपुर

देश के जाने माने पर्यावरणविद और स्कॉलर. छत्तीसगढ़ में गांधीवादी तरीके से जल-जंगल-जमीन की लड़ाई की पहचान बन चुके आदिवासियों के लिए पूरे देश में सक्रिय हैं. वर्तमान में नदी, तालाब, और पहाड़ बचाने के अभियान के अगुवा हैं. नर्मदा बचाओ से लेकर नंदी ग्राम में सक्रिय रहे. कोलकाता से आकर अविभाजित मध्यप्रदेश में काम करने लगे. बस्तर के मालिक-मकबूजा घोटाले और जबलपुर में  माड़ालात की लड़ाई सड़क से कोर्ट तक लड़ी. मालिक मकबूजा कांड में अरविंद नेताम को इस्तीफा देना पड़ा और कई आईएफएस नपे थे. छत्तीसगढ़ बनने के बाद यहीं के रह गए. गौतम बंदोपाध्याय 30 साल से अधिक समय से समाज के बीच अनेक आंदोलनों से जुड़े हुए हैं.

राजकुमार गुप्ता, संयोजक, प्रगतिशील किसान संघ, दुर्ग

86 तक सीपीआई के सदस्य रहे। पेशे से अधिवक्ता। लेकिन लंबे समय से किसानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रगतिशील किसान संघ के बैनर तले किसानों के विभिन्न मुद्दों को लेकर सालों से आंदोलनरत्। भाजपा-कांग्रेस के बीच नई वैकल्पिक क्षेत्रीय पार्टी छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के सुत्रधार के रूप में जाने जाते हैं। ताराचंद साहू के बीजेपी से अलग होने के बाद उनकी सारी योजना इन्हीं के दिमाग की उपज रहती थी.  15 से अधिक बार विभिन्न आंदोलनों में जेल जा चुके हैं। भिलाई स्टील प्लांट के 500 प्रभावितों को नौकरी दिलवाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं.

डॉ. संकेत ठाकुर, सदस्य, किसान मजदूर संघ, रायपुर

कृषि वैज्ञानिक। लंदन विश्वविद्यालय से पीएचडी। लंदन में लाखों रुपये का पैकेज छोड़क छत्तीसगढ़ में किसान आंदोलन में सक्रिय। 1994 से खेती बचाओं आंदोलन में सक्रिय। मुख्य रूप से बस्तर के आदिवासी अत्याचारों के खिलाफ मुखर होकर लड़ रहे हैं। छ.ग. में आप के संयोजक हैं। जैविक खेती और गौपालन में प्रदेश का सबसे बड़ा नाम.

 

रूपन चंद्रकार, अध्यक्ष, नई राजधानी प्रभावित किसान संघ, पलौद(रायपुर)

माल गुजार परिवार से है। विशुद्ध रूप से ठेठ किसान। राजनीति में आने कई प्रस्ताव में मिले, नया रायपुर आंदोलन के दौरान भी कई ऑफर लेकिन प्रभावित नहीं हुए। नया रायपुर प्रभावित किसानों के लिए लड़ रहे हैं। दर्जनों याचिकाए किसानों हक में हाईकोर्ट में सरकार खिलाफ लगाए।

 

द्वारिका साहू, सदस्य, किसान मजदूर संघ, रीवा(आरंग)

संपन्न किसान परिवार से आने आते हैं। छत्तीसगढ़ के इतिहास में दर्ज में 195-96 लखौली कांड के प्रमुख आंदोलनकारी चेहरा। नहर में पानी की मांग को लेकर महा आंदोलन कर चुके हैं। सालों से किसानों के हित में संघर्ष। छ.ग. जनता कांग्रेस (किसान) प्रमुख

 

पप्पू कोसरे, सदस्य , छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ, कुसमी(रायपुर)

कुसमी में मालगुजार परिवार के सदस्य। मालगुजारी छोड़कर किसानों के हित में सड़क पर आकर लड़ रहे हैं।

 

राघवेन्द्र सिंह चंदेल, किसान नेता, मस्तुरी(बिलासपुर)

इंजीनियरिंग करने के बाद खेती करने गाँव आ गए। इसके बाद किसानों के हित में संघर्षरत्। खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार सम्मानित। सबसे बड़े निजी सहकारी समिति के मुखिया।

 

 आलोक शुक्ला, संयोजक, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, रायपुर

राजनीति विज्ञान में पीजी आलोक शुक्ला ने नौकरी नहीं की। और छात्र जीवन में ही बड़े आंदोलनकारियों के संपर्क में आकर जल-जंगल-जमीन के मुद्दे पर संघर्ष करने लगे। 2004 आलोक शुक्ला मुख्य रूप से आदिवासियों के अधिकारों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सरगुजा, कोरबा और रायगढ़ में हसदेव अरण्य को बचाने संघर्षरत्। उद्योगपति अडानी के खिलाफ सीधा संघर्ष। राज्य सरकार कई नोटिस दिलवा चुके। कई खदानों का आंबटन रद्द करा चुके हैं।

अमित बघेल, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना, रायपुर

पृथक छत्तीसगढ़ की कल्पना करने वाले डॉ. खूबचंद बघेल के पोते हैं। छत्तीसगढ़ी अस्मिता की रक्षा के लिए क्रांति सेना का गठन कर लगातार क्षेत्रीय मुद्दों पर आंदोलन। छत्तीसढ़ियों के बीच सबसे प्रमुख चेहरा। उग्र आंदोलनकारी नेता के रूप में पहचान।