फारुक शेख (Farooq Shaikh) हिंदी सिनेमा के बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार थे. अलग ही अंदाज में अभिनय करने वाले फारुख का जन्म 25 मार्च 1948 (Farooq Shaikh Birth day) में गुजरात के एक जमींदार परिवार में हुआ था. दिग्गज एक्टर होने के साथ-साथ टीवी के मशहूर प्रेजेंटर भी थे. अपने हर किरदार में जान डाल देने का हुनर रखने वाले एक्टर ने 70-80 के दशक में हिंदी सिनेमा को बेहतरीन फिल्में दी. फारुख भले ही दुनिया में नहीं हैं लेकिन अपने किरदारों की वजह से सिनेप्रेमियों के दिलों में जिंदा हैं. उनकी जयंती के मौके पर एक्टर की लाइफ से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं.
ऐसे मिली थी पहली फिल्म
एक इंटरव्यू में Farooq Shaikh ने बताया था कि मैं मुंबई में लॉ की पढ़ाई कर रहा था क्योंकि मेरे पिता भी वकील थे. कॉलेज में मेरा आखिरी साल था और हम छोटे मोटे रोल्स करते थे. उन दिनों एमएस सथ्यु गर्म हवा नाम की फिल्म बनाने वाले थे. लेकिन उनके पास इसे बनाने को पैसे नहीं थे. वो ऐसे लोगों को लेना चाहते थे जो पैसे ना मांगे और अपनी सारी डेट्स दें. इसलिए उन्होंने अपने दोस्तों को कॉन्टैक्ट किया. मैंने और मेरे दोस्त ने फैसला किया कि हम फिल्मों में छोटे रोल्स करेंगे.
20 साल बाद मिली फीस
मुझे लीड एक्टर बलराज साहनी के बेटे का रोल ऑफर हुआ और मैंने हां कहा. मुझे लगा ये फिल्म करनी चाहिए क्योंकि ये अहम मुद्दे पर बनी थी. मैंने 750 रुपये में मूवी साइन की. ये अमाउंट मुझे 20 साल बाद मिला. उन दिनों फिल्म के लिए बजट मिलना मुश्किल होता था.
एक ही जगह से कुर्ता खरीदते थे, देते थे 500 रूपए ज्यादा
फारूक शेख का चिकन का सफेद कुर्ता एक तरीके से उनकी पहचान थी. वे कुर्ता भी सिर्फ एक जगह से खरीदते थे और वह जगह थी लखनऊ का सेवा एनजीओ, जिसे पद्मश्री रुना बनर्जी चलाती है. एक पुराने इंटरव्यू में रुना बनर्जी (Runa Banerjee) ने कहती हैं कि फारूक शेख 30 साल तक हमसे कुर्ते खरीदते रहे लेकिन कभी भी डिस्काउंट नहीं मांगा. उनका हर कुर्ता कस्टम मेड होता था. एक इंटरव्यू में रूना ने कहा था कि फारुख शेख से उनकी मुलाकात साल 1984 में आई मुजफ्फर अली की फिल्म ‘अंजुमन’ की शूटिंग के दौरान हुई थी, यह फिल्म चिकनकारी वर्कर्स पर केंद्रित थी.
रुना बनर्जी बताती है कि फारूक शेख (Farooq Shaikh) जो कुर्ता बनवाते थे उसकी कीमत 2500 से 3000 के बीच होती थे, लेकिन वो हर बार 500 ज्यादा देते थे और कहते थे कि यह कुर्ता तैयार करने वाले कामगारों के लिए है. रुना कहती हैं कि उनका बिल 70-80 हजार के बीच होता था. कई बार तो 1 लाख रुपये तक पहुंच जाता था. क्रेडिट कार्ड या चेक से पेमेंट करते थे.
जब जहाज में पैसेंजर पर गिरा दी दही
फारूक शेख से जुड़ा एक और किस्सा मशहूर फिल्म डायरेक्टर साई परांजपे (Sai Paranjpye) साझा करती हैं. एक पुराने इंटरव्यू में बताती हैं कि मुझे और फारूक दोनों को खाने पीने का बहुत शौक था. फारूक जब भी कोलकाता जाते तो वहां से मेरे लिए मिष्टि दोई (मीठी दही) जरूर लाते थे. एक बार वे कोलकाता से मुंबई लौट रहे थे और दही का कंटेनर जहाज में लगेज बॉक्स में डाल दिया. अचानक कंटेनर नीचे गिरा और सारी दही एक पैसेंजर के ऊपर गिर गई. फारूक शेख ही थे जिन्होंने मामले को संभाल लिया.
फारुक शेख की दुबई में हुई थी मौत!
फारुक शेख ने अपनी क्लासमेट रहीं रुपा जैन से करीब 9 साल डेटिंग के बाद शादी की थी. इनकी तीन बेटियां रुबीना शेख, सना शेख और शाइस्ता शेख हैं. फारुक एक बार अपनी फैमिली के साथ छुट्टियां बिताने के लिए दुबई गए थे. हंसी-खुशी का मौहाल 28 दिसंबर 2013 को गम में बदल गया जब कार्डिएक अरेस्ट की वजह से फारुक की जान चली गई.
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