धार्मिक ज्ञान: हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि व्रत रखने का विशेष महत्व है। इस बार मार्गशीर्ष मास की मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) 4 जून, मंगलवार को है। हर महीने में दो बार चतुर्दशी तिथि पड़ती है। हिन्दू पंचांग की 14वीं तिथि को चतुर्दशी (चौदस) कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव जी हैं। मासिक शिवरात्रि के दिन शिव परिवार यानी शिव जी के साथ गणेश, कार्तिकेय, नंदी और माता पार्वती का पूजन किया जाता है। सुख-शांति की कामना से इस दिन भोलेनाथ का पूजन किया जाता है। चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से शिव पूजन तथा मंत्र जाप करने से मनुष्य सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाता है।
मासिक शिवरात्रि यानी की ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी तिथि का आरंभ 4 जून को रात 10 बजकर 1 से होगी और 5 जून को रात 7 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि शिवरात्रि व्रत का मुहूर्त भी निशिथ काल का होता है, इसलिए मासिक शिवरात्रि का व्रत भी 4 जून को ही रखा जाएगा।
मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
- मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले जाग कर स्नान करके भगवान शिव का ध्यान करें तथा व्रत का संकल्प लें।
- पूजन के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल (यदि उपलब्ध हो तो) शकर, शुद्ध घी, शहद और दही अर्पित करके पूरे मन से शिव परिवार का पूजन करें।
- पूजा करते समय पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, श्रीफल आदि चढ़ाएं।
- धूप, दीप से भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की आरती करें।
- फल, मिठाई का भोग लगाएं।
- मंत्र- ‘ॐ नम: शिवाय’।
- ‘शिवाय नम:’।
- ‘ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ’। आदि का जाप अधिक से अधिक करें।
- शिव-पार्वती की पूजा करने के बाद रात्रि जागरण तथा अगले दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पूजन करके ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें और पारणा करके व्रत को पूर्ण करें।
यह भी पढ़ें : अपरा एकादशी का व्रत : किस तारीख को रखे गृहस्थजन, सौभाग्य योग का भी होगा निर्माण …
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक