पुरुषाेत्तम पात्र, गरियाबंद. जिले में इलाज के नाम पर जानलेवा लापरवाही का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला जिला मुख्यालय से महज एक किमी दूरी पर बसे पारागांव का है, जहां ग्रामीण सुकलाल ने बुखार से पीड़ित 13 साल की बेटी सकुंतला का उपचार गांव में ही रहने वाले एक झोलाछाप डॉक्टर से कराया. बगैर किसी जांच के झोलाछाप ने एक इंजेक्शन लगा दिया, जिसके बाद पीड़िता की हालात और बिगड़ गई.

पीड़िता के पूरे शरीर में इन्फेक्शन के कारण फफोले पड़ गए हैं. चेहरा भी बुरी तरह झुलसा नजर आ रहा. मामले की पोल न खुल जाए इसलिए झोलाछाप ने पीड़िता को सरकारी अस्पताल के बजाए अपने संपर्क के नवापारा स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया. पीड़ित परिवार दो दिनों में 20 हजार खर्च किए पर हालात में सुधार नहीं आया. इसके बाद अब गरियाबंद के एक निजी अस्पताल में पीड़िता का इलाज किया जा रहा है.

निजी अस्पताल के चिकित्सक ने अब पीड़िता के हालात में सुधार होने का दावा किया है, लेकिन सवाल अब भी उठ रहा है कि जिले में इस तरह जानलेवा लापरवाही करने वालों के खिलाफ आखिर ठोस कार्यवाही क्यों नहीं हो रही.

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