दिल्ली. अक्सर तरह-तरह के फतवे जारी होते रहते हैं. कभी कपड़े पहनने, खाने, पीने और कभी रहन रहन के तौर तरीकों को लेकर फतवे जारी होना आम बात है. अक्सर ये फतवे किसी न किसी विवाद को जन्म भी देते रहे हैं.

इस बार मुस्लिमों के प्रमुख शिक्षण संस्थान दार-उल-उलूम, देवबंद ने एक फतवा जारी किया है. इस फतवे में कहा गया है कि मुस्लिम उन परिवारों में शादी न करें जहां परिवार का कोई भी सदस्य बैंकिंग सेक्टर में है. संस्थान ने कहा है कि जो लोग बैंक की नौकरी कर पैसे कमा रहे हैं वो पैसे हराम की श्रेणी में आते हैं.

ये फतवा एक सवाल के जवाब में जारी किया गया है. जिसमें एक व्यक्ति ने पूछा था कि उसकी शादी के लिए रिश्ते आ रहे हैं लेकिन उनमें कई लड़कियों के पिता बैंक में नौकरी करते हैं. चूंकि बैंकिंग सिस्टम सूद यानि ब्याज पर आधारित है. ब्याज से अर्जित आय को इस्लाम में हराम की श्रेणी में रखा गया है. इस सवाल के जवाब में दार-उल-उलूम ने फतवा जारी कर कहा कि उस परिवार में शादी नहीं की जानी चाहिए जहां घर के सदस्य हराम की कमाई कर रहे हों.

गौरतलब है कि इस्लाम में सूद से आने वाली रकम को हराम की श्रेणी में रखा जाता है और इन कारोबारों से किसी किस्म का रिश्ता रखना गलत माना जाता है. इस्लाम में शराब, नशा और ब्याज को हराम की श्रेणी में रखा जाता है. फिलहाल इस फतवे के बाद प्रगतिशील संगठनों ने इसकी आलोचना भी शुरू कर दी है.