दिल्ली में उत्तर पश्चिम जिले की पुलिस ने 4 शातिर आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो खुद को लॉरेंस बिश्नोई गैंग का मेंबर बताकर डॉक्टरों से जबरन वसूली कर रहे थे. दीप चंद बंधु अस्पताल के CMO डॉ. अनिमेष ने पुलिस को बताया कि उन्हें ‘लॉरेंस बिश्नोई सिंडिकेट ग्रुप’ से धमकी भरा लेटर मिला था, जिसकी शिकायत पर भारत नगर थाने में मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष टीम बनाई और जांच शुरू की. उन्होंने बताया कि लेटर में धमकी दी गई थी कि अगर वे बताए गए बैंक अकाउंट में पैसे नहीं जमा करेंगे तो उनकी जान को खतरा हो सकता है. बैंक अकाउंट की जांच से लेकर संदिग्धों की जगह पता लगाने तक, पुलिस ने 3 अलग-अलग ऑपरेशनों में आरोपियों को गिरफ्तार किया.
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पहले ऑपरेशन में जांच में पता चला कि धमकी भरे लैटर में दिए गए बैंक खाते का मालिक अरुण वर्मा नामक व्यक्ति है, लेकिन खाता खोलते समय दिया गया पता फर्जी था. पुलिस ने गैस सिलेंडर की डिलीवरी के रिकॉर्ड की मदद से आरोपी को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया.
बैंक खातों की जांच में भी पता चला कि एक आरोपी दिल्ली में एक शराब ठेके से अक्सर शराब खरीदता था. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने आरोपी ऋषि शर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया.
तीसरे ऑपरेशन में ऋषि शर्मा से पूछताछ में पता चला कि उसके साथी सबल सिंह और हर्ष उर्फ अखिलेश भी इस साजिश में शामिल थे. सबल सिंह मैनपुरी, उत्तर प्रदेश के गांव सिधपुरा का प्रधान था, और सबल की निशानदेही पर हर्ष भी आगरा से गिरफ्तार किया गया था.
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डीसीपी नार्थ वेस्ट भीष्म सिंह ने बताया कि ये गिरोह पहले मोबाइल टावर लगाने के नाम पर लोगों को ठगता था. जब इस ठगी की प्रक्रिया पुरानी हो गई, तो उन्होंने डॉक्टरों पर हमला करना शुरू किया. गैंग ने ‘सभी डाक्टर दिल्ली में’ की लिस्ट गूगल से डाउनलोड की. रैंडम डॉक्टर्स को चुनकर धमकी भरे लैटर भेजे.
जांच में पता चला कि पत्र कृष्णा नगर पोस्ट ऑफिस से भेजा गया था. पुलिस ने आरोपियों से 8 स्मार्टफोन, 11 एटीएम कार्ड, 3 लैपटॉप और 140 फर्जी मोबाइल टावर एप्लिकेशन फॉर्म बरामद किए हैं. पुलिस ने बताया कि इस गैंग का मास्टरमाइंड ऋषि शर्मा है, जिसने 2005-2015 तक एक मार्केटिंग कंपनी चलाई, जो घाटे में जाने के बाद ठगी के धंधे में आ गया और धमकी वाले लैटर बनाए.
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