सुशील सलाम, कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में वन्यजीवों का आतंक बढ़ता जा रहा है. ताजा मामला सरोना वन परिक्षेत्र के दुधावा से सामने आया है, जहां एक घर में तेंदुआ घुस गया, जिससे ग्रामीणों में दहशत फैल गई. वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए जाल बिछाया, लेकिन वह जाल में नहीं फंसा और पहाड़ की ओर भाग निकला. इस घटना का वीडियो भी सामने आया है. वीडियो कल का बताया जा रहा है. बता दें कि दुधावा क्षेत्र में तेंदुए का आतंक जारी है, जहां पिछले कुछ महीनों में वह तीन से अधिक लोगों पर हमला कर चुका है.

2022 से 2025 तक तेंदुए और भालू के हमले में 11 लोगों की हुई मौत

कांकेर वन मंडल के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 से 2025 तक तेंदुए और भालू के हमले में 11 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 70 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं.

कांकेर में आए दिन वन्यजीवों और मानव के बीच संघर्ष की घटनाएं सामने आती रहती हैं. कभी हाथियों के तांडव से फसलें और जान-माल की हानि होती है, तो कभी तेंदुए और भालू आबादी वाले इलाकों में घुस आते हैं. इस दौरान कई बार इंसानों से आमना-सामना होने पर ये हमलावर हो जाते हैं, जिससे जान-माल की हानि होती है. तीन दिन पहले ही एक डिप्टी रेंजर की भालू के हमले में मौत हो गई. इसी घटना में पिता-पुत्र ने भी जान गंवा दी थी. यही नहीं, बीते महीने राह चलते एक राहगीर को तेंदुए ने अपना शिकार बना लिया था. स्थिति यह है कि कांकेर में हर दूसरे दिन भालू और तेंदुए के हमले की खबर लगातार सामने आ रही है.

कांकेर के नागरिक अजय भासवानी और पप्पू मोटवानी कहते हैं कि यदि कांकेर शहर की ही बात करें तो पूरा क्षेत्र पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है. लेकिन जंगलों में लगातार मानव का दखल बढ़ता जा रहा है, जिससे जंगली जानवरों के लिए रहने की जगह कम होती जा रही है. फलदार पेड़ कम हो रहे हैं और जंगलों में पानी की सुविधा भी नहीं है. यही कारण है कि वन्यजीव शहर और आबादी वाले इलाकों की ओर पलायन कर रहे हैं, जिससे उनका मानव के साथ संघर्ष हो रहा है और इंसानों की जान जा रही है. इसके लिए वन विभाग जिम्मेदार है, जो पर्याप्त मात्रा में फलदार वृक्ष नहीं लगा रहा है और न ही पानी की व्यवस्था कर रहा है.

कांकेर वन मंडल के डीएफओ आलोक वाजपेयी का कहना है कि कांकेर जिले के पहाड़ी और वन क्षेत्र तेंदुए और भालू के रहवास के लिए अनुकूल हैं, इसलिए उनकी संख्या भी बढ़ रही है. छत्तीसगढ़ के कई गांव जंगलों से सटे हुए हैं, जिससे वन्यजीवों और इंसानों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो रही है. वन विभाग इस स्थिति को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है.

हालांकि, वन विभाग के तमाम दावों के बावजूद जंगलों में फलदार वृक्षों की कमी के चलते भालू आबादी वाले इलाकों की ओर रुख कर रहे हैं. 2014-15 में करोड़ों रुपये खर्च कर ‘जामवंत परियोजना’ के तहत भालू रहवास क्षेत्र बनाया गया था, लेकिन वहां लगाए गए फलदार वृक्ष सूख गए. यही वजह है कि भालू अब शहरों की ओर बढ़ रहे हैं और इंसानों पर हमला कर रहे हैं.