महोबा. एक 82 वर्षीय वृद्धा ने जिंदा रहते हुए तेरहवीं संस्कार (शांतिभोज) कराया. उनको मरने के बाद मोक्ष न मिलने का डर सता रहा है. वृद्धा का कहना था कि उसके कोई संतान नहीं है. पति की पहले ही मौत हो चुकी है. यदि उसकी मृत्यु हुई तो कोई तेरहवीं संस्कार कराता है या नहीं इसकी कोई गारेंटी नहीं है. इसलिए मरने से पहले ही शांति भोज खिला दिया.

पूरा मामला उत्तर प्रदेश के महोबा जिले का है. कुलपहाड़ के मोहल्ला कठवरिया में बुजुर्ग महिला मानकुंवर ने जिंदा रहते ही तेरहवीं का भोज लोगों को खिला दिया. बताया जा रहा है कि बुजुर्ग महिला की कोई संतान नहीं है. दो साल पहले पति तांतिया अहिरवार की मौत हो गई थी. वह घर में अकेली रहती है और स्वयं खेती आदि का काम करके पेट भरती है.

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मंगलवार की शाम वृद्धा ने अपने रिश्तेदार और मोहल्ले के लोगों को बुलाया और तेरहवीं संस्कार करके 13 ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दी. इसके इलावा लोगों को भोज भी कराया गया. बुजुर्ग महिला को मरने के बाद मोक्ष न मिलने का डर सता रहा था. इसलिए जीते जी शांति भोज करा दिया. वृद्धा के इस फैसले से लोग आश्चर्यचकित रह गए. इस तेरहवीं संस्कार की चर्चा पुरे क्षेत्र में हो रही है.