Feeding Ants Religious Significance: मंदिरों या देवस्थानों के पास अक्सर लोग चुपचाप चींटियों को मीठा या गुड़ खिलाते हुए दिखाई देते हैं. यह कोई साधारण परंपरा नहीं, बल्कि एक गुप्त धार्मिक संकेत है, जो न केवल देवताओं को प्रसन्न करता है, बल्कि जीवन के कष्टों को भी दूर करता है.
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, देवस्थान की ज़मीन पर बसने वाली काली चींटियाँ यम, शनिदेव और पितरों से जुड़ी शक्तियों की वाहक मानी जाती हैं. इन्हें मीठा अर्पित करने से विशेष रूप से शनिदेव और पितृदेवता प्रसन्न होते हैं. शनिवार को विशेषकर काले तिल, गुड़ और आटे से बनी गोलियाँ या मिश्री चींटियों को देने की परंपरा है.
Also Read This: राशि अनुसार नंदी के कान में क्या कहें? जानें मनोकामना पूरी करने का चमत्कारी उपाय

Feeding Ants Religious Significance
क्या कहती हैं मान्यताएँ? (Feeding Ants Religious Significance)
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि जो व्यक्ति श्राद्ध या पितृकर्म नहीं कर पाता, यदि वह नियमित रूप से चींटियों को मीठा अर्पित करे, तो उसे पितृदोष से राहत मिल सकती है. वहीं, शनिदेव को भी यह सेवा प्रिय मानी गई है, क्योंकि वे परिश्रमी, अदृश्य और सामूहिक जीवन जीने वाली चींटियों से प्रभावित होते हैं.
Also Read This: क्यों उल्टा नहीं फेरना चाहिए जप माला को? जानें साधना पर पड़ने वाला असर और सही विधि
सावधानी भी जरूरी है (Feeding Ants Religious Significance)
- चींटियों को सीधे मंदिर के अंदर न खिलाएँ.
- मीठी सामग्री साफ़ स्थान पर रखें, ताकि मंदिर परिसर गंदा न हो.
- कृत्रिम या केमिकलयुक्त मीठा न दें.
Also Read This: अपने कुलदेवता की पहचान कैसे करें? जानिए 5 आसान और प्रामाणिक तरीके जो बदल सकते हैं आपका भाग्य
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें