जरूरी नहीं की हर बार किसी ट्रेन के रुकने का कारण इंसानी हस्तक्षेप या कोई तकनीकी खराबी हो। कभी-कभी इंसानियत ट्रेन रोक देती है, जंगल के रास्ते बदल देती है और दुनिया को यह दिखा देती है कि विकास का रास्ता सिर्फ मशीनों से नहीं, दिलों से भी निकलता है। ताजा मामला भी कुछ ऐसा ही है। दरअसल, इस बार हाथिनी की डि‍लीवरी ने ट्रेन को रुकने पर मजबूर कर दिया. मामला झारखंड का है जहां पर एक ट्रेन दो घंटे तक रेलवे ट्रैक के पास एक हथिनी के बच्चे के जन्म का इंतजार करती रही. यह घटना खास है क्‍योंकि यह मनुष्यों और जानवरों के बीच ‘सौहार्दपूर्ण’ सह-अस्तित्व का प्रतीक भी बन गई है.

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पर्यावरण मंत्री ने शेयर किया वीडियो

पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने एक्स अकाउंट पर यह वीडियो शेयर किया. उन्‍होंने ड्राइवर और रेलवे अधिकारियों की तारीफ की है. उन्‍होंने एक्‍स पर इसका वीडियो शेयर भी किया. उन्‍होंने लिखा कि ट्रेन ऑपरेटर ने धैर्यपूर्वक दो घंटे तक इंतजार किया और जब हथिनी ने बच्चे को जन्म दिया, तो वह ‘खुशी-खुशी आगे बढ़ गई’. यादव ने कहा कि रेलवे और पर्यावरण मंत्रालय ने देश में 3,500 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का सर्वेक्षण करने के बाद 110 संवेदनशील स्थानों की पहचान की है. मंत्री ने कहा, ‘इन प्रयासों के इतने सुखद परिणाम देखना सुखद है.’

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कहां हुआ यह वाकया

पर्यावरण मंत्री यादव ने झारखंड के वन विभाग की भी तारीफ की है जिन्होंने हाथी के प्रति संवेदनशीलता दिखाई और उसे पहले अपने बच्‍चे को जन्म देने दिया. बताया जा रहा है कि दिल को छू लेने वाली यह घटना बरकाकाना और हजारीबाग रेलवे स्टेशन के बीच एक जंगल में हुई. इस रेलवे लाइन का ज्‍यादातर प्रयोग माल ढुलाई के लिए होता है. इसलिए दो घंटे की देरी से किसी यात्री पर कोई असर नहीं पड़ा.

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क्‍या थी पूरी घटना

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह घटना करीब दो हफ्ते पहले सुबह लगभग 3 बजे की है. उस जब इलाके की निगरानी कर रहे वन अधिकारियों ने पटरियों पर एक हथिनी को देखा. जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि हथिनी को लेबर पेन हो रहे हैं और बच्चे को जन्म देने के लिए पटरियों पर लेटी हुई है. विशालकाय हाथी और उसके बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंतित वन अधिकारियों ने रेलवे अधिकारियों से संपर्क कर निर्धारित ट्रेन को रोकने का अनुरोध किया. फिलहाल इस वीडियो को लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

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संवेदनशीलता की जीवंत मिसाल- भूपेंद्र यादव

इस खूबसूरत और दिल छू लेने वाले पल को देश के केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया. उन्होंने इस घटना को “संवेदनशीलता की जीवंत मिसाल” बताया.

भूपेंद्र यादव ने लिखा कि अक्सर हमें इंसान और वन्यजीवों के बीच टकराव की खबरें सुनने को मिलती हैं जैसे हाथियों के ट्रेन से टकराने की घटनाएं. लेकिन झारखंड में जो हुआ, वह एक अलग ही तस्वीर दिखाता है. यह घटना दिखाती है कि इंसान अगर चाहे, तो वह प्रकृति और जानवरों के साथ मिलकर स्नेह और समझदारी से रह सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि यह नजारा मानवीय करुणा और वन्यजीवों के साथ सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व का एक बेहतरीन उदाहरण है.

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