Bihar News: बिहार मूल के राज्यपाल से एक महिला पीएचडी स्कॉलर ने अपनी डिग्री लेने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं पीएचडी स्कॉलर ने राज्यपाल पर राज्यहित में काम नहीं करने का गंभीर आरोप लगाया है। पूरा मामला तमिलनाडु स्थित मनोनमनियम सुंदरनार विश्वविद्यालय के 32वें दीक्षांत समारोह का है, जहां एक पीएचडी स्कॉलर ने राज्यपाल से अपनी डिग्री लेने से इनकार कर सुर्खियां बटोर लीं।

बुधवार को आयोजित दीक्षांत समारोह में 38 वर्षीय जीन जोसेफ ने खुले तौर पर राज्यपाल आर. एन. रवि का विरोध किया। जीन का आरोप है कि राज्यपाल “तमिलनाडु और तमिल संस्कृति का सम्मान नहीं करते” और “तमिलों के खिलाफ” हैं।

मैं ऐसे व्यक्ति से डिग्री नहीं लेना चाहती थी…

एक वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि जीन जोसेफ राज्यपाल के पास से गुजरते हुए सीधे विश्वविद्यालय के कुलपति एम. चंद्रशेखर के पास पहुंचती हैं और उनसे अपनी डिग्री लेती हैं। इस दौरान राज्यपाल उन्हें अपने पास बुलाने का इशारा करते हैं, लेकिन जीन जानबूझकर उनकी ओर नहीं जातीं। उनका कहना है, “मैं ऐसे व्यक्ति से डिग्री नहीं लेना चाहती थी, जो तमिलनाडु का सम्मान नहीं करता।”

कुल 37,376 छात्रों को दी गईं डिग्रियां

इस समारोह में कुल 104 कॉलेजों के 37,376 छात्रों को डिग्रियां दी गईं। इनमें से 759 छात्रों को राज्यपाल ने व्यक्तिगत रूप से डिग्री प्रदान की, जिनमें 650 शोध छात्र थे। जीन जोसेफ ने बीकॉम नागरकोइल के हिंदू कॉलेज से, एमबीए शिवकाशी के मेप्सो कॉलेज से और पीएचडी मनोनमनियम सुंदरनार विश्वविद्यालय से की है।

जीन जोसेफ का राजनीतिक जुड़ाव

आपको बता दें कि जीन जोसफ का परिवार अप्रत्यक्ष रूप से तमिलनाडु की राजनीति से जुड़ा है। उनके पति राजन, सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के कार्यकर्ता और पदाधिकारी हैं। डीएमके का लंबे समय से आरोप है कि राज्यपाल राज्य में समानांतर सरकार चलाने की कोशिश करते हैं और तमिल हितों की अनदेखी करते हैं।

द्रमुक सरकार के साथ रहा है टकराव

पटना (बिहार) में जन्मे आर. एन. रवि पूर्व आईपीएस अधिकारी और सीबीआई में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। 2012 में सेवानिवृत्त होने के बाद वे नागालैंड और मेघालय के राज्यपाल रहे और वर्तमान में तमिलनाडु के राज्यपाल हैं। उनका द्रमुक सरकार के साथ टकराव किसी से छुपा नहीं है।

तमिलनाडु सरकार का आरोप है कि रवि विधानसभा से पारित कई विधेयकों को महीनों तक रोककर रखते हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां नवंबर 2024 में राष्ट्रपति के विचारार्थ 10 विधेयकों को आरक्षित रखने के उनके फैसले को अदालत ने “अवैध और त्रुटिपूर्ण” बताया। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा NEET से छूट दिलाने वाले विधेयक पर भी उन्होंने सहमति नहीं दी।

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