बेगूसराय । जिले के नावकोठी थाना में तैनात महिला सब-इंस्पेक्टर (SI) लीलावती को रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई एक वायरल वीडियो के आधार पर की गई है, जिसमें वह आरोपियों से मामले में धारा हटाने के लिए रिश्वत की मांग करती हुई दिखाई दे रही हैं। वीडियो के सामने आते ही पुलिस प्रशासन में हलचल मच गई और तुरंत जांच की गई, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया।

वायरल वीडियो से हुआ खुलासा

संबंधित वीडियो चार दिन पुराना है, जिसमें लीलावती आरोपियों से पैसे की मांग करते हुए यह कहते हुए सुनाई देती हैं कि, तुमने 5 हजार रुपये दिए हैं, अब 20 हजार रुपये पूरे करो, वरना अपना 5 हजार वापस ले लो। यह बातचीत आरोपियों ने चुपके से रिकॉर्ड कर ली और बाद में सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। वीडियो के वायरल होते ही एसपी मनीष कुमार ने मामले की गंभीरता से जांच शुरू करवाई। बखरी डीएसपी कुंदन कुमार द्वारा जांच के बाद मामला सही पाए जाने पर लीलावती को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।

क्या था मामला?

यह मामला एक महिला के आरोप से जुड़ा हुआ है, जिसने 2015 में अपने पति से दहेज के लिए उत्पीड़न के कारण तीन तलाक लिया था। 3 फरवरी 2025 को महिला का आरोप है कि उसका पूर्व पति शराब के नशे में उसके घर में घुस आया और बलात्कार किया। महिला ने इस घटना के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद नावकोठी थाने में SI लीलावती को मामले की जांच सौंपी गई। आरोप है कि लीलावती ने धारा हटाने के लिए आरोपी से 20 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी। महिला ने इस आरोप को लेकर पुलिस को सूचित किया और जांच शुरू की गई।

गाली-गलौज के मामले में भी सुर्खियों में रहा

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, लीलावती का नाम भ्रष्टाचार और गाली-गलौज के मामले में भी सुर्खियों में रहा है। इलाके में यह चर्चा भी है कि लीलावती को निलंबित करने के पीछे एक अन्य पुलिस अधिकारी के खिलाफ चल रही जांच भी हो सकती है, जिसमें आरोपियों से मिलीभगत का संदेह जताया जा रहा है।

पुलिस विभाग में कड़ी कार्रवाई

यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है और स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। मामले की जांच के बाद अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो यह भ्रष्टाचार के खिलाफ पुलिस की सख्त कार्रवाई का प्रतीक बन सकता है। लोगों का मानना है कि इस तरह के मामलों से पुलिस पर आम जनता का विश्वास कम होता है, और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई से विश्वास फिर से स्थापित किया जा सकता है।

निलंबन और विभागीय कार्रवाई

पुलिस विभाग का कहना है कि रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों में अब कोई भी अधिकारी नहीं बच सकेगा।

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