अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्य प्रदेश के मऊगंज में खाद की किल्लत अब किसानों के गुस्से में बदल गई है। सरकार और कृषि विभाग का दावा है कि पर्याप्त खाद उपलब्ध है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है। आज हालात ऐसे बिगड़े कि विपणन केंद्र पर हंगामा हो गया, झूमझटकी की नौबत आई और पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा।
सुबह का वक्त, सूरज पूरी तरह निकला भी नहीं, लेकिन मऊगंज के विपणन केंद्र पर किसानों की लंबी कतारें लग चुकी थीं। खेत के लिए यूरिया पाने की उम्मीद में किसान सुबह 6 बजे से लाइन में थे। दोपहर तक ‘खाद खत्म हो गई’ की घोषणा होते ही गुस्सा भड़क गया। देखते-ही-देखते हंगामा शुरू हो गया, किसानों और अफसरों के बीच बहस हुई। झूमझटकी तक की नौबत आ गई और पुलिस को मौके पर बुलाना पड़ा।
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कालाबाजारी का आरोप
सरकारी रेट 267 रुपये प्रति बोरी है, लेकिन यही खाद खुले बाजार में 500 से 600 रुपये में बिक रही है। किसानों का आरोप कि यह खुली कालाबाजारी है और इसमें कृषि विभाग के अफसर व व्यापारियों की मिलीभगत है। मऊगंज किसान मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह सेंगर ने इसे किसान की अस्मिता और जीवन की लड़ाई बताया।
उनका कहना है कि विभाग न निरीक्षण कर रहा है, न कार्रवाई, जबकि व्यापारी जमाखोरी कर किसानों को खुलेआम लूट रहे हैं। किसानों का साफ कहना है कि अगर समय पर खाद नहीं मिली, तो मेहनत और फसल दोनों बर्बाद हो जाएंगे। सवाल अब सिर्फ खाद का नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन की नीयत और साख पर भी उठ रहे हैं।
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किसानों की संख्या अधिक, स्टाक नहीं
मऊगंज के एग्रीकल्चर एसडीओ रवि सिंह बघेल ने बताया कि, यूरिया की डिमांड पीक पर है। इससे पहले जो रैक आई थी, उसको हमने गुरुवार और शुक्रवार को दो दिन यूरिया का वितरण किया था। इसमें जो स्टाक मिला था, करीब 300 बोरी यूरिया और बची हुई है। प्रति व्यक्ति एक एकड़ के हिसाब से एक बोरी और अधिकतम दो बोरी के हिसाब से जितने लोगों को बंट सकेगा उतने लोगों को बांटने के लिए तत्पर्य है। किसानों की संख्या बहुत अधिक है, अभी हमारे पास यूरिया की उपलब्धा नहीं है। पांच छह दिन बाद एक रैक और आने वाली है। उसके बाद जितनी उपलब्धता हो सकेगी, उतनी उपलब्ध कराई जाएगी।
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