सत्या राजपूत, रायपुर। आरओडीटीईपी योजना के भविष्य को लेकर उत्पन्न अनिश्चितता को लेकर भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय को पत्र लिखा है। पत्र में एडवांस ऑथोराइज़ेशन (एए), एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट्स (ईओयू) और स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसईजेड) के तहत काम करने वाली इकाइयों के लिए निर्यात उत्पादों पर शुल्कों या करों में छूट (आरओडीटीईपी) योजना के तत्काल विस्तार की मांग की है।
फिक्की ने वाणिज्य मंत्रालय को लिखे पत्र में 5 फरवरी 2025 के बाद इन एक्सपोर्ट ओरिएंटेड जोन में स्थित इकाइयों के लिए आरओडीटीईपी लाभ की समाप्ति पर चिंता जाहिर की है। मंत्रालय से आग्रह किया है कि कम से कम 30 सितंबर 2025 तक विस्तार की अधिसूचना में तेजी लाई जाए। मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए फिक्की ने इस जरूरत पर जोर दिया है कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग की लागत प्रतिस्पर्धी बनाए रखने और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय निर्यातकों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए एए/ईओयू/एसईजेड इकाइयों को इस योजना के तहत बरकरार रखा जाना चाहिए।

फिक्की का प्रतिनिधित्व फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (एफआईएमआई) और एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएआई) जैसे शीर्ष उद्योग निकायों द्वारा हाल ही में किए गए इसी तरह के प्रस्तुतीकरण के बाद आया है, जो वैश्विक व्यापार के बारे में उद्योग जगत की आशंकाओं को दर्शाता है। भारत के उद्योग को आगे ले जाने में एल्युमीनियम की प्रमुख भूमिका है, जिसमें 20 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया गया है। इससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक देश बन गया है।
इससे पहले अपने प्रस्तुतीकरण में एफआईएमआई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत के एल्युमीनियम निर्यात का लगभग 45 प्रतिशत एए/ईओयू/एसईजेड लोकेशनों पर स्थित इकाइयों से आता है। इसमें बताया गया कि आरओडीटीईपी समर्थन वापस लेने से वैश्विक कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने कि भारतीय कंपनियों की क्षमता काफी कम हो गई है, क्योंकि अंतर्निहित कर और शुल्क जो एल्युमीनियम उत्पादन लागत का 10 प्रतिशत तक है, वे छूट-रहित और अनसुलझे रहेंगे।
वाणिज्य मंत्रालय के प्रगतिशील उपायों की सराहना करते हुए फिक्की ने आगाह किया है कि कारोबारी माहौल में बहुत दबाव है। ऐसे में देश की निर्यात प्रतिस्पर्धा को बहाल करने के लिए आरओडीटीईपी कवरेज को बढ़ाने में होने वाली देरी नुकसानदेह साबित होगी। गौरतलब है कि एफआईएमआई ने अपने प्रतिनिधित्व में बताया था कि इससे उत्पादन में कटौती, नौकरी छूटने और भारतीय एल्युमीनियम सेक्टर में डॉमेस्टिक वैल्यू ऐडिशन में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिसकी वर्तमान वार्षिक क्षमता 41 लाख टन है। तरक्की के रास्ते पर इंडस्ट्री को गतिमान रखने के लिए घरेलू क्षमता विस्तार के लिए नए निवेश महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
वैश्विक व्यापार में जारी चुनौतियों को देखते हुए फिक्की ने कहा कि एए/ईओयू/एसईजेड निर्यातकों के लिए विस्तार मिलने से उद्योग को वह निश्चितता और स्थिरता मिलेगी, जिसकी उसे बहुत जरूरत है। फिक्की ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की त्वरित कार्रवाई समानता बहाल करने और वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने की भारत की महत्वाकांक्षा को सहयोग देने में बेहद अहम साबित होगी।
एक प्रगतिशील कदम उठाते हुए वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2026 के लिए आरओडीटीईपी योजना के लिए 18,000 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दे दी है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 16,575 करोड़ रुपए था। अब एएआई, एफआईएमआई और फिक्की सहित अग्रणी उद्योग संगठन डीटीए के अनुरूप एए/ईओयू/एसईजेड इकाइयों के लिए आरओडीटीईपी योजना को 5 फरवरी 2025 से आगे बढ़ाकर कम से कम 30 सितंबर 2025 तक करने की वकालत कर रहे हैं। उद्योग जगत को उम्मीद है कि सरकार आरओडीटीईपी विस्तार को औपचारिक रूप से अधिसूचित करने के लिए शीघ्र कार्रवाई करेगी। यद्यपि भू-राजनीतिक संकट और वैश्विक मंदी के चलते आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है, किंतु फिर भी एए/ईओयू/एसईजेड के लिए आरओडीटीईपी का विस्तार उद्योग को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनने में मदद करेगा और अनिश्चित वैश्विक परिदृश्य के बीच भारतीय निर्यात की निरंतर वृद्धि सुनिश्चित हो पाएगी।
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