कुशीनगर. यूपी के कुशीनगर में पीएम आवास योजना में सरकारी धन की खूब बंदरबाट हुई. डूडा, नगर पालिका, नगर पंचायत और आउटसोर्सिंग कंपनी ने सिंडिकेट बनाकर खूब भ्रष्टाचार किया. करोड़ों-अरबों रुपए का जमकर बंदरबांट किया गया. कायदे-कानून ताक पर रखे गए. प्लॉट किसी का, फोटो किसी का और पैसे का लाभ किसी और को दे दिया गया. आउटसोर्सिग कम्पनी, डूडा, नगर पालिका और सीएलटीसी सुभम सिंह ने मिलकर जमकर भ्रष्टाचार किया.

कुशीनगर में ये भ्रष्टाचार योगी राज में कैसे किया गया, इसका खुलासा तब हुआ जब कम्पनी की तरफ से सर्वेयर का काम करने वाली कम्पनी के कर्मचारियों को सीएलटीसी द्वारा उनसे पैसे के लिए टार्चर किया जानें लगा और उनसे बार बार पैसे की मांग किया जाने लगा जो लगातार उसके द्वारा तीन बर्षो से किया जाता. यहां उनका सब्र का बांध टूटा और वे अपना मुंह खोल दिए तो सब सामने आने लगी. प्रधानमंत्री आवास में हुई भ्रष्टाचार की परत दर परत खुलने लगी हैं.

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मामला कुशीनगर सांसद के पास पहुंचा तो सांसद ने तत्काल चिट्ठी जिलाधिकारी को लिखा और भ्रष्ट सीएसटी सुभम सिंह पर कार्रवाई की मांग की, जिस पर जिलाधिकारी ने जांच बैठा कार्रवाई का आदेश दे दिए. जांच सीडीओ कुशीनगर को मिली, लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी आज तक जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी के आफिस तक नहीं पहुंच सका तो कहीं न कहीं सवाल खड़ा होता है. आखिर जांच कब तक पहुंचेगी और कब तक कार्रवाई होगी. कहीं सीडीओ कार्यालय तो बचाने का प्रयास तो नहीं कर रहा है. पीएम मोदी के सपने पर कुशीनगर के जिम्मेदार अधिकारी प्रहार करने में लगे हुए हैं. यहां गरीबों के आशियाने के एक हिस्सा का पैसा अफसर डकार गए.

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डूडा, नगर पालिका कुशीनगर और आउटसोर्सिंग कंपनी ने सिंडिकेट बनाकर यह खेल किया है और बड़ी बारीकी से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया, लेकिन इसके सबूत मीडिया के हाथ लग गए हैं. कुशीनगर योगीराज में प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़ा घोटाला किया गया है. दो मंजिला पक्के मकान वालों को आवास दे दिया गया और झोपड़ी वाले आज भी आवास की आस लगाए बैठे हैं. पीएम मोदी अपना मकसद और सपना बताते हैं कि हर गरीब के सिर पर छत हो और हर गरीब के घर का सपना पूरा हो. यही मकसद पीएम मोदी का है, लेकिन कुशीनगर के अफसरों ने पीएम आवास निर्माण योजना में भी भ्रष्टाचार करने का बड़ा रास्ता निकाल लिया.

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यहां भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी थीं. मीडिया के हाथ जो सुबूत लगे हैं उनकी तफ्तीश करने हम उन इलाकों में निकल पड़े, जहां भ्रष्टाचार की कहानी इतनी बुलंद थी कि हमें भी यकीन नहीं था. जनपद के नगर नगरपालिका परिषद ,नगर पंचायत परिषद के क्षेत्र में सैकड़ों मकान प्रधानमंत्री आवास निर्माण योजना से बनाई गई. वहां मकान पहले से ही बनी थी, लेकिन फोटो किसी और प्लाट पर खींचकर लाभ लिया गया.

अये हैं नियम

आवास के लिए आए आवेदकों की पात्रता की जांच राजस्व विभाग करता, उसके बाद डीपीआर बनती है और फिर आउटसोर्सिंग कंपनी जो जियोटेग करती है. इसके बाद पीएम आवास योजना में लाभार्थी को लाभ दिलाने का जिम्मा जियोटेगिंग के बाद प्राइवेट कंपनी के (सिटी लेवल टेक्निकल सेल) सीएलटीसी को डूडा के साथ मिलकर करना था, लेकिन जियोटेग एक्सेप्ट करने के दौरान ध्यान ही नहीं दिया, जबकि प्रथम लेवल की जियोटेग पोर्टल पर दर्शाई जाती है, उसको देखते हुए ही सेकेंड लेवल की जियोटेग एक्सेप्ट की जाती है और दूसरी किश्त जारी ली जाती है जिसका जिम्मा सीएलटीसी का होता है, लेकिन सब मिले हुए थे और जियो कॉर्डिनेट सिस्टम को फर्जी एप्लिकेशन और जीपीएस को बंद करके खेल खेला और जियोटेग एक्सेप्ट करने के दौरान बैकग्राउंड को नजरअंदाज कर दिया गया.

ऑफिस में बैठकर सत्यापन

जियोटेग के दौरान भी गड़बड़ी पकड़ी जा सकती थी, लेकिन किसी ने जानबूझकर ध्यान नहीं दिया. डूडा के साथ नगर पालिका के अफसरों की भी जिम्मेदारी थी कि पैसा सही जगह जा रहा है या नहीं, लेकिन सभी मूकदर्शक बने रहे नगर पालिका, नगर पंचायतों के अफसरो ने मौके पर जाने की बजाय ऑफिस में बैठकर सत्यापन कर दिया.

भ्रष्टाचार को दी खुली छूट

अब इस पूरे भ्रष्टाचार में एक सबसे बड़ी बात ये है कि जिस प्राइवेट आउटसोर्सिंग कंपनी को सूडा की तरफ से कुशीनगर के डूडा विभाग में तैनात किया वो कंपनी डूडा और नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों के कुछ अफसरों के साथ मिलकर खूब लूट मचाती रही. अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और सरकारी धन को लूटते रहे. जीओ टैगिंग में सेंध लगा दी, सिस्टम को ब्रेक किया गया. अपात्रों को लाभ दिलाने और एक ही प्लाट पर कई लोगों को लाभ देने का षड्यंत्र रचा गया. जब कोई समाज सेवी इस मामले पर शिकायत करता तो नगर पालिका के अधिकारी भ्रष्टाचार की कहानी की जांच करने और रिपोर्ट बनाने जाते थे. और सब ठीक है कि रिपोर्ट देकर आ जाते थे, क्योंकि सबको मिलकर सरकारी धन लूटना था. जबकि असली दोषी वो भी हैं क्योंकि जांच के नाम पर उन्होंने भी खानापूर्ति की और भ्रष्टाचार को खुली छूट दे दी. अब देखना यह हैं कि सांसद कुशीनगर के लिखें इस चिट्ठी पर खुले काले चिट्टे पर कब तक कार्रवाई होती है या पुरा मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है. और सीएलटीसी सुभम सिंह जो पुरे भ्रष्टाचार का प्रमुख हैं. पहले की तरह बच निकलता है.

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