सत्या राजपूत, रायपुर। अपोलो हॉस्पिटल, बिलासपुर में कथित चिकित्सकीय लापरवाही के कारण 26 दिसंबर 2016 को गुरवीन सिंह उर्फ गोल्डी छाबड़ा की मौत हो गई थी। इस मामले में परिजन पिछले 9 सालों से न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। लगातार पत्र लिखने और अधिकारियों के दरवाजे खटखटाने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसी क्रम में गुरुवार को मृतक के भाई प्रिंस छाबड़ा और पिता ने रायपुर पहुंचकर स्वास्थ्य मंत्री से गुहार लगाई। उन्होंने दोषी डॉक्टरों का पंजीयन निरस्त करने और अस्पताल को सील करने की मांग उठाते हुए ‘अंतिम पत्र’ सौंपकर अपनी उम्मीदें छोड़ दी हैं।

मृतक के पिता ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र में लिखा है कि 9 वर्षों से न्याय की उम्मीद में पत्र पर पत्र लिख रहे हैं। हर दरवाज़े पर दस्तक दी, हर अधिकारी से विनती की, लेकिन कहीं से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। मेरे पुत्र की असमय मृत्यु ने मेरी ज़िंदगी अंधकारमय कर दी है और न्याय की इस लंबी प्रतीक्षा ने मेरे विश्वास को पूरी तरह तोड़ दिया है।

आज इस पत्र के माध्यम से मैं आपसे (स्वास्थ्य मंत्री) कहना चाहता हूं कि यह मेरा अंतिम पत्र है। अब मैं और कोई पत्र नहीं लिखूंगा, क्योंकि मैंने अपनी सारी उम्मीदें खो दी हैं। एक पिता का दर्द, उसके आँसू और उसकी पुकार अगर 9 साल बाद भी व्यवस्था को नहीं जगा पाए, तो मुझे नहीं लगता कि आगे कुछ और लिखने से कोई परिणाम निकलेगा।

उन्होंने आगे लिखा ‘आपसे मेरी अंतिम प्रार्थना है कि मेरे पुत्र की आत्मा की शांति और न्याय की गरिमा बनाए रखने के लिए कृपया इन डॉक्टरों के विरुद्ध शीघ्र सख़्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। यही एक पिता की अंतिम विनती है।’

इस मामले में डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. रजिब लोचन भांजा, डॉ. सुनील कुमार केडिया और डॉ. मनोज राय की लापरवाही को न केवल डायरेक्टर मेडिकोलीगल इंस्टीट्यूट रायपुर ने एक बार बल्कि दो बार अपनी जांच रिपोर्ट में सिद्ध किया है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (CIMS), बिलासपुर की रिपोर्ट में भी अनेक गंभीर लापरवाही के बिंदु स्पष्ट रूप से दर्ज हैं।

फिर भी, आज तक इन प्रभावशाली डॉक्टरों के विरुद्ध अपेक्षित कड़ी कार्रवाई-विशेषकर निलंबन (suspension)-नहीं की गई।

मैंने 23 जनवरी 2024 को छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल (CGMC) में अपनी शिकायत दर्ज करवाई थी, जहाँ मुझे आश्वासन दिया गया था कि 6 माह में निर्णय होगा। किंतु अब डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

इतना ही नहीं, इस प्रकरण में एफआईआर 7 अक्टूबर 2023 को दर्ज हुई, 29 दिसंबर 2023 को आरोपियों की गिरफ्तारी हुई और 15 अप्रैल 2024 को अभियोजन एजेंसी ने चार्जशीट भी प्रस्तुत कर दी। इसके बावजूद न्याय और कार्रवाई की गति अत्यंत धीमी है।