कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी में हालिया घटनाक्रम राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गए हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी रणदीप सुरजेवाला(Randeep Surjewala) ने हाल ही में एक बैठक के दौरान एक बयान दिया, जो कर्नाटक कांग्रेस में चल रहे संकट और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को बल दिया. सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी को निराश नहीं करना चाहिए क्योंकि सरकार “मां” है और पार्टी “बच्चा” है. यह बयान विशेष रूप से कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वरा और कोऑपरेशन मंत्री केएन राजन्ना से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने हाल ही में एक बैठक का बहिष्कार किया था.
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हाल ही में राज्य के डिप्टी सीएम और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार की ओर से बुलाई गई एक बैठक में वरिष्ठ मंत्रियों जी. परमेश्वरा और केएन राजन्ना ने भाग नहीं लिया, जिससे पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर उठ रही असहमति पर सवाल उठने लगे. कर्नाटक सरकार के कई अन्य नेता और कार्यकर्ता इस बैठक में उपस्थित थे, इन मंत्रियों का बहिष्कार राज्य कांग्रेस में गहरे मतभेद का संकेत देता था.
सुरजेवाला का बयान, जिसमें उन्होंने पार्टी और सरकार के बीच समझौता बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया, उन नेताओं के लिए एक संदेश था जो कर्नाटक में कांग्रेस में अलग-अलग धड़ों में विभाजित हैं.
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SC और ST समुदाय के मंत्रियों की बैठक
राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वरा ने SC और ST समुदाय से जुड़े मंत्रियों की 8 जनवरी को एक बैठक आयोजित की, जिसे “सामान्य भोज” नाम से अधिकृत किया गया, खासतौर पर यह बैठक महत्वपूर्ण थी, राजनीतिक जगहों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या के ढाई साल के कार्यकाल के बाद डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री पद दे सकते हैं. यह चर्चा मई 2023 से शुरू हो गई है.
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मुख्यमंत्री पद को लेकर उठती अटकलें
कांग्रेस में हो रहे बदलाव ने पार्टी को बहुत चिंतित कर दिया है. राज्य में कांग्रेस ने अब तक ढाई साल से अधिक समय का शासन किया है, और पार्टी में चर्चा तेज हो गई है कि क्या सिद्धारमैय्या खुद डीके शिवकुमार को अपनी कुर्सी छोड़ देंगे. विशेष रूप से इस संदर्भ में 8 जनवरी को हुई एससी और एसटी मंत्रियों की बैठक को देखा जा रहा है. यह बैठक शायद पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
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