पटना। चुनाव आयोग (EC) आज यानी मंगलवार को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की फाइनल वोटर लिस्ट जारी करेगा। अनुमान है कि इस सूची में कुल 7.3 करोड़ मतदाता शामिल होंगे जिसमें करीब 14 लाख नए वोटरों के नाम भी जोड़े गए हैं। यह प्रक्रिया बिहार के लिए बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि 2003 के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर मतदाता सूची की छंटनी और संशोधन किया गया है।

24 जून से शुरू हुई SIR प्रक्रिया

बिहार में SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की शुरुआत 24 जून 2025 को हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था मृत, दोहरी वोटर आईडी रखने वाले, स्थायी रूप से बाहर चले गए और फर्जी मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाना। साथ ही नए योग्य मतदाताओं को लिस्ट में जोड़ा जाना भी इस अभियान का एक अहम हिस्सा रहा। मतदाताओं में से लगभग 7.24 करोड़ से दोबारा फॉर्म भरवाए गए। SIR के पहले फेज में 25 जुलाई 2025 तक 99.8% कवरेज हासिल की गई।

65 लाख मतदाता लिस्ट से हटाए गए

1 अगस्त को जारी की गई प्रारंभिक सूची में करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए थे। इनमें से 22 लाख मतदाता अब इस दुनिया में नहीं हैं। वहीं, 36 लाख ऐसे पाए गए जो अपने पते पर नहीं मिले। करीब 7 लाख लोग ऐसे थे जो दूसरी जगह जाकर स्थायी रूप से बस चुके हैं। साथ ही कई ऐसे नाम भी थे जिनके पास दो वोटर आईडी कार्ड थे जिसे सिस्टम से हटाया गया।

अब आधार भी वोटर आईडी के लिए मान्य दस्तावेज

शुरुआत में इस प्रक्रिया के तहत 11 दस्तावेजों को ही पहचान के लिए मान्यता दी गई थी, लेकिन 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आधार नंबर को 12वें दस्तावेज के रूप में मान्यता दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि आधार सिर्फ पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं। इसके बावजूद इसे मतदाता के सत्यापन में इस्तेमाल किया जा सकता है।

विपक्ष ने उठाए सवाल

विपक्षी दलों ने SIR प्रक्रिया की टाइमिंग और निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष का कहना है कि पिछले 22 सालों में बिहार में कई चुनाव हो चुके हैं, और अगर तब की वोटर लिस्ट सही नहीं थी तो क्या उन चुनावों की वैधता पर भी सवाल खड़ा होता है?
विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि अगर SIR जरूरी थी तो इसकी घोषणा बिहार चुनाव के बाद भी की जा सकती थी। इतनी जल्दीबाज़ी में इसे लागू करने के पीछे क्या मकसद था, यह सवालों के घेरे में है।

अब देशभर में होगी SIR प्रक्रिया

EC ने साफ किया है कि अब यह विशेष पुनरीक्षण अभियान सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहेगा। 18 सितंबर को चुनाव आयोग ने घोषणा की कि SIR प्रक्रिया को पूरे देश में लागू किया जाएगा। हालांकि, बाकी राज्यों में पुराने वोटरों को फिर से दस्तावेज नहीं दिखाने होंगे, क्योंकि अधिकतर राज्यों में 2002 से 2004 के बीच यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी। नए वोटर बनने वालों को ‘डिक्लेरेशन फॉर्म’ भरना होगा जिसमें जन्म तिथि जन्म स्थान और 1987 के बाद जन्म लेने वालों को माता-पिता के दस्तावेज भी जमा करने होंगे।

फाइनल लिस्ट के साथ चुनावी तैयारियां तेज

SIR की फाइनल लिस्ट के जारी होते ही बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को गति मिलना तय है। संशोधित सूची से यह स्पष्ट हो जाएगा कि राज्य में कितने नए वोटर जुड़े और कितने पुराने नाम हटाए गए हैं। इस कदम से चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।